Mauni Amavasya 2022- मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान का है विशेष महत्व,मौन रहते हुए किया जाता है स्नान और दान 

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Mauni Amavasya 2022- मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान का है विशेष महत्व,मौन रहते हुए किया जाता है स्नान और दान 



प्रयागराज:- आस्था की नगरी प्रयागराज में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माघ मेला 2022 चल रहा है.माघ मेले का दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या का है जो कि 1 फरवरी को है.माघ मास में होने वाली अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है.इस दिन संगमनगरी की पावन भूमि पर दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है और गंगा,यमुना तथा अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी लगाते हैं.मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने का विशेष महत्व है.इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी है.माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से जन्मों का पुण्य हासिल होता है और पापों से मुक्ति मिलती है.संगम की रेती पर मौजूद कल्पवासी और अन्य श्रद्धालु एक विशेष पद्धति को अपनाते हुए इस दिन स्नान, दान,जप-तप करते हैं.तो चलिए जानते हैं मौनी अमावस्या पर स्नान का क्या है महत्व-

आत्ममंथन और एकाग्रता के भाव विकसित करने का पर्व है मौनी अमावस्यामौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु मौन रहकर स्नान और दान करते हैं. इस व्रत का पालन दो तरह से किया जाता है.कुछ श्रद्धालु अपने आत्म नियंत्रण के चलते सारा दिन मौन धारण करते हैं और जप-तप करते हैं.वहीं कुछ लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मौन रहते हुए स्नान और दान करते हैं. बताया जाता है कि इस दिन किया हुआ दान का पुण्य हजारों बार किए गए दान के पुण्य के बराबर होता है.सारा दिन मौन रहते हुए आप खुद के अंदर झांकते हैं.एकाग्रता और आत्ममंथन जैसे भाव विकसित करते हैं और खुद को जानने की दिशा की तरफ अग्रसर होते हैं.आप बाहरी दुनिया से कुछ पलों के लिए नाता तोड़ कर परम पिता परमेश्वर से जुड़ने के लिए अग्रसर होते हैं.यही महत्व है मौनी अमावस्या पर मौन रहकर व्रत करने का.

प्रयागराज की धरती पर इस दिन होता है देव और पितरों का संगमशास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या पर संगम के पावन जल में देवता ब्रह्म मुहूर्त पर अदृश्य रूप से स्नान करते हैं.साथ ही साथ इस दिन इस पावन धरती पर देव और पितरों का संगम होता है.ऐसे में श्रद्धालु अगर संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं तो आत्मशुद्धि भाव से परिचित होते हैं.इसके साथ हीश्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए यह अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है.श्रद्धालु अपनी स्थिति के अनुसार दान करते हैं.इस दिन काले और सफेद तिल का विशेष रूप से दान किया जाता है.शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या वह पावन पर्व है जब प्रजापति ब्रह्मा जी ने मनु और शतरूपा को प्रकट करके सृष्टि की रचना की थी.(रिपोर्ट-प्राची शर्मा, प्रयागराज)

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