Match fixing ruined the careers of these 5 brilliant cricketers many shocking names in the list | मैच फिक्सिंग में तबाह हो गया इन 5 धुरंधर क्रिकेटर्स का करियर, लिस्ट में कई चौंकाने वाले नाम

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Match fixing ruined the careers of these 5 brilliant cricketers many shocking names in the list | मैच फिक्सिंग में तबाह हो गया इन 5 धुरंधर क्रिकेटर्स का करियर, लिस्ट में कई चौंकाने वाले नाम



Match Fixing in Cricket: खेलों की दुनिया में मैच फिक्सिंग एक ऐसा कीड़ा है जो खेल की जड़ों को खोखला कर देता है. पहले क्रिकेट में यह कीड़ा बहुत फैला हुआ था. कई खिलाड़ी पैसे के लालच में खेल के साथ खिलवाड़ करते थे. लेकिन अब क्रिकेट बोर्ड्स ने इस कीड़े को मारने के लिए कई हथियार उठा लिए हैं. भ्रष्टाचार रोधी इकाइयां दिन-रात काम कर रही हैं और दोषी खिलाड़ियों को सजा दी जा रही है. इन सख्त कदमों की वजह से मैच फिक्सिंग अब पहले की तरह आम नहीं रही है. हम आज भारत के उन खिलाड़ियों के बारे में यहां बता रहे हैं जो मैच फिंक्सिंग के आरोपों में फंस गए और उसके बाद उनका करियर ही तबाह हो गया.
मोहम्मद अजहरुद्दीन: भारत के महान कप्तानों में एक मोहम्मद अजहरुद्दीन के करियर पर भी मैच फिक्सिंग एक दाग की तरह है. भारत के लिए 99 टेस्ट में 6215 और 334 वनडे मैचों में 9378 रन बनाने वाले अजहर अपने समय के बेहतरीन क्लासिक बल्लेबाज रहे हैं.लंबे समय तक टीम इंडिया के कप्तान रहे इस खिलाड़ी पर 1999-2000 के दौरान मैच फिक्सिंग का आरोप लगा. साल 2000 में भारतीय टीम अपनी मेजबानी में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेल रही थी. इस मामले में अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए ने सट्टेबाजी की बात स्वीकार कर ली थी और उन्होंने अजहर का भी नाम लिया. सीबीआई ने मामले की जांच की और फिर बीसीसीआई ने उनके ऊपर आजीवन बैन लगा दिया. बाद में कोर्ट से अजहर को क्लीन चीट मिली. तब तक उनका करियर समाप्त हो गया.
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एस श्रीसंत: 16 मई 2013 को दिल्ली पुलिस ने श्रीसंत और उनके राजस्थान रॉयल्स के दो साथियों अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को आईपीएल 6 के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया. हालांकि, श्रीसंत ने हमेशा कहा है कि वह निर्दोष हैं और उन्हें जबरन बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था. जुलाई 2015 में उन्हें स्पॉट फिक्सिंग मामले में बरी कर दिया गया था. 18 अक्टूबर 2017 को केरल उच्च न्यायालय ने श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध बहाल कर दिया. मार्च 2019 में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर BCCI ने उनके प्रतिबंध को घटाकर 7 साल कर दिया, जिसका मतलब था कि वह 13 सितंबर 2020 से खेल के सभी प्रारूप खेल सकते थे. श्रीसंत को 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी के लिए केरल टीम में चुना गया. उन्होंने जनवरी 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में प्रतिबंध के बाद पहला मैच खेला. 9 मार्च 2022 को श्रीसंत ने घरेलू क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की.
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मनोज प्रभाकर: एक बड़े खुलासे में पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज प्रभाकर ने कई दिग्गज खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया. प्रभाकर के मुताबिक, भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में ही मैचों के नतीजे तय होते थे. उन्होंने कपिल देव, रवि शास्त्री सहित कई खिलाड़ियों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया था. हालांकि, इस मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब खुद प्रभाकर को वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच फिक्सिंग में शामिल पाया गया. इसके बाद बीसीसीआई ने प्रभाकर को बैन कर दिया.
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नयन मोंगिया: भारत के शानदार विकेटकीपर बल्लेबाजों में एक नयन मोंगिया को शायद मैदान के बाहर के विवादों के लिए ज्यादा याद किया जाएगा. उन्हें मैच जीतने की कोशिश न करने के कारण भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया. मोंगिया को अंपायर के फैसले पर असहमति जताने के बाद निलंबित कर दिया गया और 1990 के दशक के अंत में मैच फिंक्सिंग में शामिल होने के संदेह के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया.
अजय जडेजा: ऑलराउंडर अजय जडेजा की क्रिकेट उपलब्धियां बाद में मैच फिक्सिंग के लिए 5 साल के प्रतिबंध के कारण फीकी पड़ गईं. बाद में 27 जनवरी 2003 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध हटा दिया, जिससे जडेजा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के योग्य हो गए. जडेजा ने 2 फरवरी 2001 को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें के. माधवन समिति की सिफारिशों के आधार पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने वाले बीसीसीआई के आदेश को चुनौती दी गई थी. वह 2003 में रणजी खेलने वापस आ गए.



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