Angelo Mathews time out controversy: वर्ल्ड कप 2023 में श्रीलंका के बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यूज को आउट दिए जाने पर काफी विवाद हुआ. बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन पर भी काफी सवाल खड़े किए गए. इस बीच मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने इसको लेकर बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि मैथ्यूज आउट थे या नहीं. उन्होंने इस नियम को भी साफ-साफ शब्दों में बताया है. बता दें कि शाकिब अल हसन की अपील के बाद एंजेलो मैथ्यूज को टाइमआउट दिया गया था. वह इस तरह से आउट होने वाले क्रिकेट इतिहास के पहले खिलाड़ी बने.
MCC ने जारी किया बयान क्रिकेट के नियमों के संरक्षक मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने शनिवार(11 नवंबर) को कहा कि अंपायरों ने वर्ल्ड कप के मैच में एंजेलो मैथ्यूज को सही ‘टाइम आउट’ करार दिया था, लेकिन नया हेलमेट मांगने से पहले अंपायरों से सलाह लेकर मैथ्यूज उस तरह से आउट होने से बच सकते थे. बता दें कि मैथ्यूज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘टाइम आउट’ होने वाले पहले बल्लेबाज बने जब बांग्लादेश के खिलाफ मैच में वह समय सीमा के भीतर स्ट्राइक नहीं ले सके थे. इसे लेकर काफी विवाद भी पैदा हुआ. मैथ्यूज को बाद में पता चला कि उनके हेलमेट का स्ट्रेप टूटा है और उन्होंने नया हेलमेट मंगवाया. इस देरी के लिए बांग्लादेश ने अपील की और अंपायरों ने टाइम आउट करार दिया.
आउट होने से ऐसे बच सकते थे मैथ्यूज
एमसीसी ने एक बयान में कहा, ‘जब हेलमेट टूटा तो लगा कि मैथ्यूज ने अंपायरों से मशविरा नहीं किया. एक खिलाड़ी को नया उपकरण मंगवाने से पहले ऐसा करना चाहिए. उन्होंने सीधे ड्रेसिंग रूम में इशारा कर दिया.’ आगे कहा गया, ‘अगर वह अंपायरों को बताते कि क्या हुआ है और समय मांगते तो उन्हें हेलमेट बदलने की अनुमति मिल जाती. इससे वह टाइम आउट होने से बच जाते.’
अंपायर ने लिया सही फैसला
MCC की ओर से जारी बयान में अंपायर के फैसले को सही बताया गया. बयान में कहा गया, ‘अपील किए जाने के समय दो मिनट से अधिक निकल चुके थे तो अंपायरों ने उन्हें सही आउट करार दिया. क्रिकेट के नियमों के अनुसार वह इसके अलावा क्या कर सकते थे.’ बता दें कि उस मैच में दक्षिण अफ्रीका के मराइस इरास्मस और इंग्लैंड के रिचर्ड इलिंगवर्थ मैदानी अंपायर थे. तनाव इतना बढ गया था कि मैच के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने एक दूसरे से हाथ नहीं मिलाया. MCC ने कहा कि इस तरह का नियम इसलिए जरूरी है कि ऐसा नहीं होने पर विकेट गिरने पर बल्लेबाज समय बर्बाद कर सकते हैं. इससे फील्डिंग करने वाली टीम को स्लो ओवर रेट के लिये जुर्माना भरना पड़ सकता है.