अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. मंदिर में दर्शन के बाद अक्सर लोग सीढ़ियों पर बैठा करते हैं. ये कम ही लोग जानते हैं कि इसके पीछे खास वजह होती है . आप भी ऐसा जरूर करते होंगे. लेकिन इसके पीछे क्या राज है ये शायद आप नहीं जानते होंगे. काशी के विद्वान पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि मंदिर के सीढ़ियों पर बैठना एक परंपरा है और इसके पीछे धार्मिक आधार और विज्ञान भी है.सनातन धर्म में मंदिर की आकृति को देव विग्रह के सामान ही माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर के शिखर को देव विग्रह का मुख और उसके सीढ़ियों को उनका चरण पादुका माना जाता है. यही वजह है कि शिखर के दर्शन के वक्त आंख खोलकर देवता का ध्यान करना चाहिए और जब भक्त मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे को उन्हें आंख बंद कर देवी देवताओं का स्मरण करना चाहिए.जल्द पूरी होती है मनोकामनापंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि मंदिर की सीढ़ियां देव विग्रह के पांव के सामान होती है. इसलिए वहां बैठकर आंख बंद कर जो भी सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना करता है. उसकी मनोकामना जल्द पूरी होती है.दूर होते है जीवन के कष्टइतना ही नहीं ऐसा करने से मनुष्य के जीवन के कष्ट दूर होते है. इसके साथ ही उन्हें मन की शांति और सुकून के साथ वैभव और सुख, समृद्धि की प्राप्ति भी होती है. इस दौरान प्रार्थना करने से जीवन में अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. इसलिए जब भी मंदिर में दर्शन के बाद भक्त मन्दिर के सीढ़ियों पर बैठते है तो उन्हें ईश्वर से क्षमा याचना के साथ इन सभी चीजों के लिए सच्चे मन से प्रार्थना जरूर करनी चाहिए.शिखर दर्शन से देव विग्रह के दर्शन का पुण्यधार्मिक मान्यता ये भी है कि मंदिर के शिखर दर्शन से देव विग्रह के दर्शन के सामान ही फल मिलता है. इसलिए मंदिर में शिखर का दर्शन भी सिर झुका कर अवश्य करना चाहिए..FIRST PUBLISHED : June 03, 2023, 15:52 IST
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