मामला जमीन के मालिकाना हक का नहीं, बल्कि अवैध कब्जे का: श्रीकृष्ण सेवा संस्थान

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मामला जमीन के मालिकाना हक का नहीं, बल्कि अवैध कब्जे का: श्रीकृष्ण सेवा संस्थान



मथुरा. मथुरा (Mathura) के जिला जज की अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार श्री कृष्ण जन्मस्थान विराजमान की तरफ से दाखिल रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया है. श्री कृष्ण जन्मस्थान की देखभाल कर रही संस्था श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने न्यूज18 से बातचीत में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक एवं अन्य बिंदुओं पर चर्चाएं चल रही हैं, दरअसल ये मामला मालिकाना हक का है ही नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के स्वामित्व की भूमि पर स्थित ईदगाह पर मुस्लिम पक्ष के अवैध कब्जे का है.
सचिव कपिल शर्मा ने आगे कहा कि ब्रिटिश सरकार से नीलामी में राजा पटनीमल ने 15.70 एकड़ जमीन खरीदी थी. 16 मार्च 1815 को ईस्ट इंडिया कम्पनी की ओर से कटरा केशवदेव परिसर को नजूल भूमि के रूप में खुली नीलामी कर राजा पटनीमल को दे दिया था. जिसे भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर निर्माण के उद्देश्य से सर्वाधिक ऊंची बोली लगाकर खरीदा गया था. 1882 में वृंदावन के लिए डाली गई रेल लाइन के उपयोग के लिए 2.33 एकड़ जमीन की जरूरत हुई. जिसे राजा पटनी मल के वंशज राय नरसिंह दास व राय नारायन दास ने रेलवे को दे दिया.
पहले पांच वक्त की नमाज नहीं होती थी?जिसकी एवज में रेलवे ने राजा पटनी मल के वंशजों को 17 सौ 75 रुपये 11 आना 9 पैसे का भुगतान किया. जिसके बाद जमीन कुल 13.37 एकड़ बची. शर्मा ने बताया कि पहले पांच वक्त की नमाज नहीं होती थी. हम लोगों ने नमाज को लेकर लगातार विरोध किया. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि जिस भूमि पर मस्जिद है उसका स्वामित्व श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है. परिसर से अवैध कब्जा हटना चाहिए, जिससे वहां पर भव्य मंदिर का निर्माण हो सके.
श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ भूमिदरअसल, हरिशंकर जैन ने न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन में श्री कृष्ण विराजमान के नाम से एक वाद दायर किया था. जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ भूमि जिस पर शाही ईदगाह बनी हुई है, का कब्जा है जन्मभूमि को वापस दिलाये जाने की मांग की है. यह वाद 30 सितंबर 2020 को सीनियर सिविल जज की कोर्ट ने खारिज किया था. जिसके बाद हरिशंकर जैन ने जिला न्यायालय में रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी. जिसके बाद जिला अदालत ने चार विपक्षी पक्षकारों को नोटिस जारी किए थे. न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद आज जिला जज ने हरिशंकर जैन की याचिका पर अहम फैसला सुनाया है.
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