Made in India drug Nafithromycin will change the method of treatment it can counter drug-resistant bacteria | ‘मेड इन इंडिया’ दवा से बदल जाएगा इलाज का तरीका, नफिथ्रोमाइसिन बनेगा जानलेवा बैक्टीरिया का विनाशक

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Made in India drug Nafithromycin will change the method of treatment it can counter drug-resistant bacteria | 'मेड इन इंडिया' दवा से बदल जाएगा इलाज का तरीका, नफिथ्रोमाइसिन बनेगा जानलेवा बैक्टीरिया का विनाशक



भारत ने दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल की है. देश की पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नैफिथ्रोमाइसिन’ (Nafithromycin) को लॉन्च किया गया है, जिसे मुंबई स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी वॉकहार्ट द्वारा ‘मिकनैफ’ (Miqnaf) ब्रांड नाम से जल्द बाजार में उतारा जाएगा.
नैफिथ्रोमाइसिन एक अर्ध-सिंथेटिक मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक है, जो दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने के लिए विकसित किया गया है. यह खासतौर पर वयस्कों में कम्युनिटी-अक्वायर्ड बैक्टीरियल निमोनिया (CABP) के इलाज के लिए तैयार किया गया है. इसकी खासियत है कि इसे केवल तीन दिनों तक, दिन में एक बार लिया जाता है. यह दवा फेफड़ों में लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे इसका असर तेज और प्रभावी होता है.
दवा-प्रतिरोधी संक्रमण के खिलाफ बड़ा कदमड्रग-रेसिस्टेंट निमोनिया से हर साल दुनियाभर में दो मिलियन से अधिक मौतें होती हैं. भारत में निमोनिया के कुल मामलों का 23% हिस्सा है, जहां पारंपरिक दवाएं अब असरदार साबित नहीं हो रही हैं. नैफिथ्रोमाइसिन को इस चुनौती से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.
14 साल की मेहनत और 500 करोड़ का निवेशयह दवा 14 वर्षों के शोध और 500 करोड़ रुपये के निवेश के बाद विकसित की गई है. नैफिथ्रोमाइसिन के क्लिनिकल ट्रायल भारत, अमेरिका और यूरोप में किए गए, जिनमें इस दवा को एजिथ्रोमाइसिन से दस गुना अधिक प्रभावी पाया गया. इसके 96.7% तक के क्लिनिकल क्योर रेट, न्यूनतम साइड इफेक्ट्स और भोजन के साथ या बिना लेने की सुविधा इसे और भी उपयोगी बनाते हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?डॉक्टरों का मानना है कि नैफिथ्रोमाइसिन दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में क्रांति ला सकती है. हालांकि, इसका जिम्मेदारी से इस्तेमाल जरूरी है ताकि भविष्य में इसके प्रति भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित न हो. चूंकि यह मेड-इन-इंडिया दवा है, यह किफायती और आसानी से उपलब्ध होगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एंटीबायोटिक उन लाखों मरीजों के लिए राहत लेकर आएगी जो मौजूदा दवाओं से कोई फायदा नहीं उठा पा रहे. डॉक्टरों ने इसके दुरुपयोग और ओवरयूज से बचने की सलाह दी है. नैफिथ्रोमाइसिन का उपयोग तब ही किया जाएगा, जब पारंपरिक दवाएं विफल हो जाएं.



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