राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार सेहत के लिए खतरा बना हुआ है. एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि फेफड़ों के कैंसर के मामले (खासतौर पर गैर-धूम्रपान करने वालों में) तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण है. गुरुवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता थोड़ी बेहतर होकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी (AQI 379) में दर्ज की गई, लेकिन कई इलाकों में अब भी प्रदूषण खतरनाक लेवल पर बना हुआ है.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. राहुल भार्गव ने बताया कि भारत में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर फेफड़ों के कैंसर के मामलों में वृद्धि का बड़ा कारण हैं. लंबे समय तक PM2.5 जैसे प्रदूषकों के संपर्क में आने से फेफड़ों के टिशू को नुकसान होता है और कैंसर का खतरा बढ़ता है. हाल ही में eClinical Medicine Journal में प्रकाशित एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में अधिकांश फेफड़ों के कैंसर के मरीज धूम्रपान न करने वाले हैं. इसके साथ ही, भारतीय मरीजों में यह बीमारी पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग 10 साल पहले ही प्रकट हो रही है.
गंभीर समस्याएं बढ़ींचीफ ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों का कैंसर अक्सर ‘एडेनोकार्सिनोमा’ प्रकार का होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों के बाहरी हिस्सों में शुरू होता है. यह बीमारी शुरुआत में बिना लक्षणों के रहती है, जिससे देर से पहचान हो पाती है.
बच्चे और वृद्ध सबसे ज्यादा प्रभावितडॉ. हर्ष महाजन ने बताया कि बच्चों की कमजोर इम्यूनिटी उन्हें अस्थमा और एलर्जी जैसी बीमारियों के प्रति अधिक सेंसिटिव बनाती है. इसके अलावा, सांस की समस्याओं की शिकायतें पिछले महीने की तुलना में 20% तक बढ़ गई हैं. विशेषज्ञों ने N95 मास्क पहनने, घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने और बाहर की एक्टिविटी को सीमित करने की सलाह दी. इसके साथ ही, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट और पर्याप्त पानी पीने से इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है. लंबे समय तक वायु प्रदूषण के सेहत प्रभावों से बचने के लिए समय पर डॉक्टर की सलाह लेने की आवश्यकता है.
(न्यूज इनपुट आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.