हाइलाइट्सहुनरमंदों के सहारे बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें ज्यादा से ज्यादा पक्की करने की योजना बनाई हैखास बात ये है कि ऐसे लाभार्थी समाज की अति पिछड़ी जातियों से आते हैंलखनऊ. समाज के सबसे गरीब और वंचित लेकिन, हुनरमंदों के सहारे बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें ज्यादा से ज्यादा पक्की करने की योजना बनाई है. सरकारी भाषा में इसे विश्वकर्मा योजना का नाम दिया गया है. यूपी में योगी सरकार ने भी 17 सितंबर को इस योजना को लॉन्च किया. अब बीजेपी इसपर कार्यशाला आयोजित कर रही है. बता दें कि इस योजना के तहत समाज के उन हुनरमंदों को लाभ मिल रहा है जिनके हाथों में कला तो है लेकिन, अब तक अवसर की कमी रही हो. खास बात ये है कि ऐसे लाभार्थी समाज की अति पिछड़ी जातियों से आते हैं. यानी नॉन यादव ओबीसी. कुम्हार, लोहार, बढ़ई, सोनार, दर्जी, धोबी जैसा काम करने वाले इसके लाभार्थी हैं.
ओबीसी वर्ग पर तो सभी पार्टियों की टकटकी लगी है लेकिन, बीजेपी ने ओबीसी में सेंधमारी के लिए एक अलग वोटबैंक पर ही फोकस किया हुआ है. ये यादवों के अतिरिक्त दूसरी पिछड़ी जातियां हैं. लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक तौर पर उपेक्षित भी रही हैं. बीजेपी ने तो पहले भी इन्हें प्रतिनिधित्व देकर अपने पाले में करने की कोशिश की है, जिसमें वो बहुत हद तक कामयाब भी रही लेकिन, अब इस समाज को उसने लाभार्थी श्रेणी में भी शामिल कर दिया. सरकार इस समाज के नौजवानों को इनके काम की ट्रेनिंग दे रही है. ट्रेनिंग के दौरान इन्हें भत्ता भी दे रही है और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद काम में इस्तेमाल होने वाला टूल किट भी फ्री में दे रही है. कुछ दिनों पहले सीएम कार्यालय लोकभवन में सीएम योगी ने ऐसे ही टूल किट का वितरण किया था. टूल किट की बाजार कीमत लगभग 15 हजार तक होती है. अब बीजेपी इस लाभार्थी समूह को अपने वोटबैंक में बदलने की योजना पर काम कर रही है. इसीलिए बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में पीएम विश्वकर्मा योजना की कार्यशाला आयोजित की गयी है. इसमें प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल के साथ केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा भी शामिल रहे.
केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने न्यूज़18 से बातचीत में कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हुनरमंदों के लिए काफी सजग है. विश्वकर्मा योजना के माध्यम से हुनरमंदों को ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. हमारी कोशिश है कि समाज के हर तबके तक विकास पहुंचे। इसी क्रम में यह कार्यशाला योजित की गई है.
आइये एक बार फिर से जानते हैं कि इस योजना के तहत किन 18 श्रेणी के कामगारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. वो ये हैं – बढ़ई, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार/पत्थर गढ़ने वाले, चर्मकार, राजमिस्त्री, बुनकर, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, रस्सी कातने वाले/बेलदार, पारंपरिक खिलौना निर्माता, नाई, हार बनाने वाले, धोबी, दर्ज़ी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला, नाव बनाने वाले, कवच बनाने वाला, लोहार, ताला बनाने वाले, कुल्हाड़ियों और अन्य उपकरण वाले.
इस श्रेणी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें न सिर्फ भूमिहीन रही अति पिछड़ी जातियां हैं बल्कि बड़ी संख्या में दलित और मुस्लिम हैं जो पसमांदा समाज से आते हैं. यानी जिनपर कभी ज्यादा फोकस नहीं रहा. बीजेपी की इस रणनीति की काट दूसरी पार्टियों के लिए निकालना बहुत ही मुश्किल लग रहा है. जाहिर है वे इसपर वार-पलटवार ही कर सकती हैं. यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बीजेपी चाहे जितना भी जोर लगा रहे अब उसे पिछड़ों का वोट नहीं मिलने वाला। उन्होंने कहा कि बीजेपी पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करना चाहती है.
आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 80 सीटों को जीतने का दम भरा है. इस टार्गेट को लक्ष्य तक पहुंचाने की उसकी मेहनत और उसका संकल्प भी दिखाई दे रहा है. पार्टी समाज के हर तबके को अपने खेमे में शामिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है. महिला सम्मेलन और दलित सम्मेलन तो चल ही रहे हैं, ऐसे तमाम अभियान चलाये जा रहे हैं.
.Tags: Lucknow news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 06:38 IST
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