ऋषभो चौरसिया/लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी अपनी नज़ाकत, नफासत और गंगा-जमुनी तहजीब के लिए फेमस है. यह शहर धर्मों की सीमाओं को पार करने की एक अनोखी मिसाल पेश करता है. जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. बिना किसी गुस्सा या ग्लानि के गंगा-जमुनी तहजीब का अर्थ हैं. एक ऐसी सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना जिसमें विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं.अवध की रॉयल फैमिली की अध्यक्ष प्रिंसेस फरहाना मालिकी जो अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह बहादुर की सातवीं वंशज हैं. उन्होंने बताया कि असफ-उद-दौला ने यह सुनिश्चित किया था कि सभी धर्मों के त्योहारों को समानता के साथ मनाया जाए. उन्होंने यह भी बताया है कि लखनऊ के अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर की स्थापना अवध के नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और अवध के छठे नवाब सआदत अली खां की माता छतर कुंअर (बेगम आलिया) ने कराई थी.गंगा-जमुनी तहजीब की एक अनोखी मिसालयह गंगा-जमुनी तहजीब की अनोखी मिसाल है. जहां एक मुस्लिम राजपरिवार ने हिन्दू मंदिर की स्थापना की थी. इसलिए लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब एक ऐसी सांस्कृतिक धरोहर है. जिसने धर्मों की सीमाओं को पार करके एकता, सहिष्णुता और भाईचारे की अनोखी मिसाल स्थापित की है. इसी लिए लखनऊ अपने आप में एक पहचान बनाया हुआ है..FIRST PUBLISHED : July 08, 2023, 15:06 IST
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