विशाल झा/ गाजियाबाद : बच्चों को अपनी दादी या नानी से कहानियां सुनने का काफी शौक होता है. बच्चे बेसब्री से रात होने का इंतजार करते है ताकि उनको एक नई कहानी सुनने को मिल सके. हालांकि इस डिजिटल युग में इस प्रथा पर ग्रहण लग रहा है. ऐसी ही एक कहानी का जिक्र किया गाजियाबाद की फिल्म डायरेक्टर अनीता शर्मा ने.
अनीता बताती है कि वह मूल रूप से पहाड़ की रहने वाली है. ऐसे में अक्सर दादी मां उनको पहाड़ से जुड़े हुए किस्से और कहानी सुनाया करती थी. रात को सोने के वक़्त ये कहानी सुनाने को मिलती थी. इसलिए हमेशा रात होने का बेसब्री से इंतजार रहता था. कई बार कुछ कहानी लंबी होती थी तो वह अगले दिन के लिए टल जाती थी. ऐसी बहुत सारी कहानियां हैं जो दादी मां के द्वारा सुनाई गई लेकिन जो एक कहानी मुझे याद रह गई वह है गोलू की.
आलसी और जिद्दी गोलू की कहानीगोलू एक जिद्दी और आलसी बच्चा था. गोलू शुरू से ही अपने बड़ों की बात को नजरअंदाज कर देता था. गोलू और उसकी मां ऊंचे पहाड़ों पर रहते थे. गोलू की मां को हमेशा उसको लेकर चिंता बनी रहती थी. गोलू की मां हमेशा चाहती थी कि गोलू भी उसकी तरह मेहनती बने.इसलिए गोलू की मां हमेशा उसकों छोटे-मोटे काम दिया करती थी. एक दिन गोलू की मां ने गोल से कहा, कि अब सर्दियां आने वाली है. पहाड़ पर बहुत ज्यादा सर्दी पड़ती है. इसलिए तुम धीरे-धीरे लकड़ियां इकट्ठी करना शुरू कर दो. क्योंकि अगर हमारे पास लकड़ी नहीं होगी, तो हम खाना नहीं बना पाएंगे.
लकड़ियां और गोलू का बहानामां की बात सुनने के बाद गोलू एक-दो दिन तो लकड़ियां इकट्ठा करता है. लेकिन फिर से वापस आराम करने में लग जाता है. जब भी गोलू की मां उससे लकड़ियां इकट्ठा करने के बारे में पूछती है तो वह कहता है कि वह रोज मेहनत से लड़कियां इकट्ठा कर रहा है.अब जिसका इंतजार था वह घड़ी आ जाती है. पहाड़ों पर कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है. हर तरफ भारी बर्फबारी के कारण लोग अपने घरों में कैद हो जाते है. शुरुआत में गोलू की मां उसकी कई पकवान बनाकर खिलाती है और पीने और नहाने के लिए गर्म पानी भी देती है.
बर्फ़ीला तूफान और लकड़िया खत्म …एक दिन सुबह गोलू उठता है और अपनी मां से गर्म पानी के लिए जिद करता है. उसकी मां उसे बताती हैं कि गर्म पानी नहीं मिल सकता क्योंकि लकड़िया खत्म हो गई है .गोलू की मां उससे पूछती है, की तुमने लकड़ी तो इक्क्ठा करी थी… फिर खत्म कैसे हो गई.गोलू अपनी झुकी हुई नजरों से मां को देखता है और कुछ बोल नहीं पाता. अब ऐसा करते-करते दोपहर हो चुकी थी. गोलू का गला प्यास से सूख रहा था. गोलू अपनी मां से गर्म पानी पीने के लिए जिद करने लगा. लेकिन मां ने समझाया कि आप कोई फायदा नहीं है क्योंकि लकड़ी खत्म हो चुकी है. गोलू कहता है मैं अभी जाकर लकड़ी लाता हूं. बर्फीले तूफान से गोलू कुछ गीली लकड़ी उठा कर ले आता है.
जब गोलू की भूख से हालत हो गई खराबजब मां गोलू के सामने इन लड़कियों को जलाती है तो इनमें आग नहीं लगती. अब गोलू शर्मिंदगी महसूस करता है. गोल की मां उसे कहती हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है. शाम होने के कारण गोलू की भूख बढ़ती जा रही थी. गोलू अपनी मां के सामने रोने लगता है. रोते -रोते गोलू भगवान के सामने बैठकर अपनी गलतियों पर पछतावा करने लगता है. उतने में ही गोलू की मां उसके लिए पराठा बनाकर लाती है. जब गोलू आलू के पराठे देख खुशी से उछल पड़ता है और प्लेट पर खाने के लिए टूट पड़ता है. एक पराठा खाने के बाद गोलू अपनी मां से पूछता है क्या तुमने खाया. मां मुस्कुराती है. इसके बाद गोलू मां से पूछता है कि यह लकड़ी कहां से आई?
आपकी हर बात मानूंगा मां…तब मां गोलू को स्टोर रूम में लेकर जाती है. स्टोर रूम पूरी तरीके से लड़कियों से भरा हुआ होता है. मां गोलू से कहती है कि अपने से बड़ों की बात कभी भी नहीं टालनी चाहिए. अगर तुम मेहनत नहीं करोगे तो तुम्हें कुछ खाने के लिए नहीं मिलेगा. गोलू अपनी मां को गले लगा लेता है और कहता है कि आइंदा से मैं आपकी हर बात मानूंगा और अगली बार सर्दियों में आपके साथ मिलकर लकड़ी इकट्ठा करूंगा.
.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 8, 2023, 22:27 IST
Source link