क्या अब मधुमक्खियां करेंगी नेपाली हाथियों से ग्रामीणों की रक्षा? जानें पीटीआर का पूरा प्लान

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क्या अब मधुमक्खियां करेंगी नेपाली हाथियों से ग्रामीणों की रक्षा? जानें पीटीआर का पूरा प्लान



सृजित अवस्थी/पीलीभीत : उत्तरप्रदेश के स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व व नेपाल सीमा से सटे कई इलाकों में हाथियों के उपद्रव से रोकथाम के लिए फॉरेस्ट गार्ड्स के साथ मधुमक्खियां भी जुटी हैं. इसके लिए ग्रामीण और वन विभाग मिल कर कवायद कर रहे हैं.

हर साल जुलाई से लेकर दिसम्बर तक पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे लग्गा-भग्गा इलाके व आसपास के कई सीमावर्ती गांवों में नेपाली हाथियों की आमद दर्ज की जाती है. ये हाथी वैसे तो विचरण करते करते नेपाल की सीमा से भारत में दाखिल होते हैं. लग्गा-भग्गा इलाका हाथियों का पारंपरिक कोरिडोर है. लेकिन समय के साथ यहां बसी आबादी के लिए हाथियों के झुंड का विचरण कई बार आफत का सबब बन जाता है.

क्या है पीलीभीत टाइगर रिजर्व का प्लान ?वैसे तो हाथियों की निगरानी के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की ओर से रैपिड रिस्पांस टीम का भी गठन कर दिया गया है. लेकिन इसके साथ ही साथ बीते कुछ समय से ऐसे सीमावर्ती गांव है जहां नेपाली हाथियों की चहलकदमी देखी जाती है. उन गांवों में मधुमक्खी पालन शुरू कराया गया है. जानकारों के अनुसार मधुमक्खी शहद के लिए तकरीबन 3 किमी. के दायरे में रहती है. वहीं हाथी मधुमक्खी के क्षेत्र में जाने से कतराते हैं. ऐसे में मधुमक्खियों के चलते इन इलाकों में हाथियों की आवाजाही सामान्य की अपेक्षा कम सकती है.ऐसे में ग्रामीणों को स्व रोज़गार भी मिल रहा है वहीं हाथियों के उपद्रव से भी बहुत हद तक उनकी सुरक्षा हो रही है.

क्या हाथियों के उत्पात से मिलेगी राहत?अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि आए दिन नेपाल से आए हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों का खासा नुकसान होता है. जबकि मधुमक्खी शहद के लिए लगभग 3 किलोमीटर के इलाके में घूमती है. ऐसे में में गांव के आस-पास ही उनका छत्ता होगा तो वो ज्यादा दूर नहीं जाएंगी. वहीं अगर गांव के आस-पास मधुमक्खियां रहेंगी तो गांवों के अंदर हाथियों के प्रवेश की घटनाएं कुछ कम हो सकती हैं.
.Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 21:26 IST



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