कम जमीन में लाखों की कमाई का तरीका….किसान इस विधि से करें खेती, सिर्फ 2 महीने में बन जाएंगे मालामाल

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Last Updated:April 13, 2025, 14:23 ISTAgriculture Tips: फर्रुखाबाद के किसान मचान विधि से परवल, खीरा, तोरई उगाकर बंपर कमाई कर रहे हैं. ऊंचाई पर उगाने से फसलें बड़ी और रोगमुक्त होती हैं. जैविक खाद से रोग नियंत्रण होता है. इसके लिए अधिक जमीन की भी आवश…और पढ़ेंX

कम जमीन में लाखों की कमाई का तरीका.हाइलाइट्सफर्रुखाबाद के किसान मचान विधि से बंपर कमाई कर रहे हैं.मचान विधि में बांस की लकड़ियों पर सब्जियां उगाई जाती हैं.जैविक खाद और ऊंचाई पर उगाने से फसलें रोगमुक्त होती हैं.सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: जिले के किसानों ने अपने पास कम भूमि होने के चलते ऐसा तरीका इजाद किया है. जिससे वह  बंपर कमाई कर रहे हैं. दरअसल के किसान अपने खेतों में बांस के सहारे मचान बनाकर नार वाली सब्जियों को उगा रहे हैं. जिसमें परवल, खीरा, तोरई जैसी फसलों को वह भूमि से काफी ऊंचाई पर लटकाकर तैयार करते हैं. जिसके कारण आकृति बड़ी होने के साथ ही रोग भी कम लगते हैं. इसके लिए अधिक जमीन की भी आवश्यकता नहीं होती है.

फर्रुखाबाद के कंधरापुर के किसान सुनील राठौर जो मचान विधि से फसल तैयार करते हैं. इस समय उन्होंने परवल की फसल बो रखी है. इस समय फसल के लिए भूमि में करीब पांच-पांच कदम पर फावड़े से जगह बनाकर नालियां बनाई जा रही हैं. नाली में घासफूस निकालकर सफाई की जा रही है. जैविक खाद (घूरा) डालने का काम हो गया है. वहीं इस समय पर रोगों से बचाव के लिए मचान आदि बनाते हैं.

क्या है मचान विधि 

यह एक देसी तरीका है जिसमें बांस की लकड़ियों को भूमि से ऊपर स्थापित करके उन पर इन सब्जियों के पौधों को लगाया जाता है. जो कि ऊंचाई पर होने के कारण अत्यधिक ग्रोथ करते हैं. वहीं ऊंचाई पर होने के कारण उत्पादन भी बंपर होता है. इसीलिए किसान भाई मचान विधि अपनाते हैं, जिससे कि बीमारियां कम लगती हैं.

लोकल18 को किसान सुनील राठौर ने बताया कि परवल के लिए नाली 10 कदम की दूरी पर बन रही है. परवल की फसल खरीदने के लिए  व्यापारी आते हैं. वहीं इस समय उनके यहां पर फसल भी तैयार हो रही है. दूसरी ओर अभी से बुआई शुरू कर दी है. इसी माह के अंत तक सारी सब्जियों के बीज की गड़ाई पूरी हो जायेगी.

रोगों की समय से ऐसे करें पहचान 

परवल की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इसमें बैक्टीरिया लगने की वजह से इसके पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाला जैसा दिखाई देने लगता है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में समानता इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं. ऐसे समय पर किसान इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें. जिससे 3 सप्ताह तक तोरई की बेल सुरक्षित रहती है. वही समय से नमी के अनुसार हर तीसरे दिन सिंचाई भी कर सकते है.
Location :Farrukhabad-cum-Fatehgarh,Farrukhabad,Uttar PradeshFirst Published :April 13, 2025, 14:18 ISThomeagricultureकिसान इस विधि से करें खेती, सिर्फ 2 महीने में बन जाएंगे मालामाल

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