लखीमपुर: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के कई ग्रामीण इलाकों में भेड़ (Sheep Farming) पालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भेड़ पालन आय का प्रमुख साधन माना गया है. वहीं, भेड़ के ऊन, दूध और मांस को बेचकर ग्रामीण अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
इसके अलावा भेड़ का गोबर भी बहुत अच्छा उर्वरक माना जाता है. इसका उपयोग खेतों की उत्पादकता को बढ़ाता है. भेड़ कृषि अयोग्य भूमि में चरती हैं और कई खरपतवार आदि अनावश्यक घासों का उपयोग करती है तथा उंचाई पर स्थित चरागाह जो कि अन्य पशुओं के अयोग्य है, उसका उपयोग भी करती हैं. भेड़ पालक भेड़ों से प्रति वर्ष मेमने प्राप्त करते हैं.
20 साल से कर रहे हैं भेड़ पालनकिसान पप्पू ने बताया कि वह 20 सालों से भेड़ पालन कर रहे हैं और अपने परिवार का पालन पोषण भेड़ पालन के जरिए से कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष भेड़ पालन से उन्हें काफी लाभ होता है. साथ ही भेड़ पालकों को भेड़ों से प्रति वर्ष मेमने भी प्राप्त हो जाते हैं.
ऊन और दूध से मिलता है अच्छा मुनाफागर्मी तथा बरसात के पहले ही इनके शरीर से ऊन की कटाई कर लेनी चाहिए. भेड़ के बाल बेहद नरम, मुलायम और रोएंदार होते हैं. ये बेहद गर्म होते हैं, इसलिए इनसे सर्दियों के कपड़े बनाए जाते हैं. शरीर पर ऊन रहने से गर्मी तथा बरसात का बुरा प्रभाव पड़ता है.
ठंडी के पहले कर लें भेड़ के बालों की कटाईजहां जाड़ा जाने के पहले ही ऊन की कटाई कर लेनी चाहिए. प्रति भेड़ से सालभर में लगभग 1 किलोग्राम से कम ऊन का उत्पादन होता है. साथ ही भेड़ का दूध भी बाजार में काफी अच्छे दामों पर बिकता है. आमतौर पर विदेशों में भेड़ के दूध की भारी डिमांड रहती है. यही कारण है कि इन दिनों भेड़ पालने का बिजनेस काफी चलन में है..
Tags: Lakhimpur Kheri News, Lakhimpur News, Local18FIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 10:37 IST