भारत के पूर्व गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते हुए कहा कि 2013 के आईपीएल से शुरुआत करने के बाद जिस तरह उन्होंने खुद को एक खिलाड़ी के रूप में निखारा है, वह काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत कम गेंदबाज हैं जो तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी20) में इतना बड़ा प्रभाव डाल सके हैं. 2016 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने के बाद जसप्रीत बुमराह ने खुद को भारत के बेस्ट तेज गेंदबाजों में से एक के रूप में स्थापित किया. 2024 में बारबाडोस में हुए पुरुष टी20 वर्ल्ड कप में बुमराह ने 15 विकेट लेकर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता और भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई.
दुनिया के नंबर 1 गेंदबाज हैं बुमराह
2024-25 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 5 मैचों में 32 विकेट लेकर उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था. हालांकि सिडनी टेस्ट की दूसरी पारी में पीठ दर्द के कारण वह गेंदबाजी नहीं कर सके थे. म्हाम्ब्रे ने कहा, ‘बुमराह ने जिस तरह से खुद को निखारा है, उसके लिए उन्हें पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए. वह बेहद फोकस्ड हैं और अपने खेल को लेकर हमेशा जागरूक रहते हैं. उनकी सबसे खास बात यह है कि वह हमेशा बेहतर बनने की कोशिश करते हैं. यही कारण है कि वह तीनों फॉर्मेट में दुनिया के नंबर 1 गेंदबाज हैं. खिलाड़ियों को उनके खेले गए मैचों की संख्या से नहीं, बल्कि तीनों फॉर्मेट में उनके प्रभाव से आंका जाना चाहिए.’
बुमराह को टेस्ट क्रिकेट खेलना बेहद पसंद
पूर्व गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने आगे कहा, ‘बहुत कम गेंदबाज तीनों फॉर्मेट में ऐसा प्रभाव डाल पाते हैं. टी20, वनडे और टेस्ट में उनके आंकड़े उनकी मेहनत और लगन को दर्शाते हैं. बुमराह उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जिन्हें टेस्ट क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है. वह मैदान पर कभी हार नहीं मानते.’ पारस म्हाम्ब्रे ने यह भी खुशी जताई कि बुमराह ने कप्तानी की जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया है. पारस म्हाम्ब्रे ने कहा, ‘कप्तानी को लेकर बुमराह ने अच्छी रुचि दिखाई है, जो बहुत खुशी की बात है. वह सिर्फ अपने खेल पर नहीं, बल्कि पूरी टीम पर ध्यान देते हैं. वह नए खिलाड़ियों को तैयार करने और उनकी मदद करने में भी आगे रहते हैं. बुमराह सिर्फ मैच जीतने के बारे में नहीं सोचते, बल्कि टीम पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ने पर भी जोर देते हैं.’
कहां से कैसे आए बुमराह?
पारस म्हाम्ब्रे ने कहा, ‘अगर आप पीछे देखें तो उनकी यात्रा बेहद शानदार रही है. जब वह आईपीएल में चुने गए थे, तब उन्हें कोई नहीं जानता था. मुंबई इंडियंस के सपोर्ट स्टाफ और स्काउट्स ने उन्हें खोजा. जॉन राइट ने उन्हें देखा और टीम प्रबंधन को उनका नाम सुझाया. यह टीम की बेहतरीन नजर और बुमराह के टैलेंट का नतीजा है. उन्हें सही फिजियो, ट्रेनर और वरिष्ठ खिलाड़ियों का साथ मिला, जिसने उनके करियर को निखारा.’
बुमराह का शरीर उनका साथ देगा?
पारस म्हाम्ब्रे ने कहा कि वह अगले कम से कम पांच साल तक बुमराह की गेंदबाजी और देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘आप कभी नहीं जान सकते कि वह यहां से कितने बेहतर हो सकते हैं. मुझे नहीं लगता कि वह संख्याओं को देखते हैं. टीम की सफलता में योगदान देना और जीत हासिल करना ही उनका लक्ष्य होगा. उम्मीद है कि उनका शरीर उनका साथ देगा.’
बुमराह के बॉलिंग एक्शन में ज्यादा ताकत लगती है
पारस म्हाम्ब्रे ने कहा कि बुमराह के बॉलिंग एक्शन में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है. मेरी चिंता हमेशा इस खिलाड़ी के लंबे समय तक बिना चोट के खेलने को लेकर रहेगी. हमें उनका ख्याल रखना होगा. लक्ष्य से भटकना आसान है. उन्हें भारतीय क्रिकेट के लिए उपलब्ध रहने की जरूरत है. मुझे यकीन है कि वह खेलना चाहते हैं, लेकिन हमें उन्हें कैसे इस्तेमाल करना है, इस बारे में समझदारी से काम लेना होगा. मुझे बस उम्मीद है कि मैं अगले पांच साल तक उनकी गेंदबाजी देख सकूं.