कबाड़ से जुगाड! इको फ्रेंडली पर्यावरण को बढ़ावा दे रहा ये शख्स, महिलाओं को भी बना रहा आत्मनिर्भर 

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कबाड़ से जुगाड! इको फ्रेंडली पर्यावरण को बढ़ावा दे रहा ये शख्स, महिलाओं को भी बना रहा आत्मनिर्भर 



कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्तीः अगर आपके मन में कुछ अलग करने का जुनून है तो बड़ी से बड़ी बाधा भी आपको डिगा नहीं सकती. इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है बस्ती जनपद के आलोक शुक्ला ने. बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में होनहार आलोक को पिता की एक बात ऐसी चुभी की आज उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है और उनको राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार भी मिल चुका है. आपको बता दे की आज आलोक को उनके प्रतिभा के लिए इको आलोक भी कहा जाता है.

कारण आलोक वेस्ट पेपर का इस्तेमाल कर कई प्रकार के समान बना चुके हैं और जो पूरी तरह से एनवॉर्मेंट के फ्रेंडली है. आलोक वेस्ट पेपर के माध्यम से पेन स्टैंड, फ्लावर पॉट, गुल्लक, टेबल, लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा, छोटा अलमारी, वाटर पॉट, टेबल कोस्टर, मोबाइल स्टैंड व अन्य सजावटी सामान बना चुके हैं, जिसको लेकर वर्ष 2019 में उनको इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में देश के बेस्ट ग्रोइंग यूथ का सम्मान भी मिल चुका है. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने भी उनको सम्मानित कर चुके हैं.

इन समान का होता है उपयोगआलोक ने बताया की वो सजावटी सामान बनाने के लिए बबूल का गम, नमक, नेचुरल पेंट आदि का इस्तेमाल करते थे. साथ ही कलर करने के लिए गुलाब के पंखुड़ी के माध्यम कलर तैयार करता हूं. जो पूरी तरह से नेचुरल होता है. हमारे द्वारा बनाया गया सामान नष्ट होने पर आसानी से मिट्टी और पानी में घुल मिल जाता है. इससे किसी प्रकार की कोई प्रदूषण नहीं होता है.

 कैदियों को सामान बनाने का प्रशिक्षण आलोक ने आगे बताया की मैं संविदा पर अनुदेशक के पद पोस्टेड हूं. लेकिन इस समय मुझे मास्टर ट्रेनर बनाया गया है. मैं स्कूली बच्चों, समूह की महिलाओं और जेल में निरुद्ध कैदियों को तरह तरह की सामान बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहा हूं.जिससे वो सभी कौशल सिख आत्मनिर्भर बन सके.आलोक शुक्ला ने बताया की उनके द्वारा बनाए गए सामान पर कोस्ट नाम मात्र का आता है. लेकिन बिकता कोस्ट का दस गुना ज्यादा है, क्योंकि लोगों की डिमांड ज्यादा रहती है. उन्होंने कहा की जैसे गणेश जी की एक मूर्ति बनाने में अधिकतम 25 रुपए का खर्च आया था. लेकिन मार्केट में यह तीन सौ रुपए में बिकता है.

पिता से मिली प्रेरणाआलोक ने बताया की मेरे पिता भी आर्टिस्ट थे. आर्ट मुझे जन्म से ही मिला है. लेकिन मेरा जुनून था की मैं ऐसा कुछ करू जिससे एनवायरमेंट के लिए लाभकारी हो. इसलिए मैं पेपर के माध्यम से ही सामान बनाता हूं और इसी जुनून में मैंने तीन तीन सरकारी नौकरी छोड़ दी.
.Tags: Basti news, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 17:48 IST



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