कौन थे मां गंगा का प्रिय भक्त? स्नान करने रोज जाते थे हरिद्वार, इनके कहने पर सहारनपुर चली आई थीं मां गंगा

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कौन थे मां गंगा का प्रिय भक्त? स्नान करने रोज जाते थे हरिद्वार, इनके कहने पर सहारनपुर चली आई थीं मां गंगा

अंकुर सैनी/सहारनपुर: हमारे आसपास मौजूद हर चीज और जगह के पीछे एक कहानी होती है. सहारनपुर की एक नदी के पीछे की दिलचस्प कहानी है. नाम है पांवधोई. इस नदी को लोग सहारनपुर की लाइफ लाइन के नाम से भी जानते हैं. कहते हैं कि एक संत हुए करते थे. उन्होंने ही मां गंगा से कहकर इस नदी को सहारनपुर बुलवाया था.

सहारनपुर के अनोखे संत की कहानीसहारनपुर संतों की तपोस्थली कहा है. यहां पर बाबा लाल दास ने सैकड़ो वर्ष रहकर तपस्या की है. सहारनपुर के बीच से होकर गुजर रही सहारनपुर की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली पांवधोई नदी को भी बाबा लालदास अपनी तपस्या और मां गंगा से प्रार्थना कर सहारनपुर लेकर आए थे. सहारनपुर शहर से 7 किलोमीटर दूर सकलापुरी में सकलेश्वर महादेव मंदिर है, जिसके पास से इस पांवधोई नदी का उद्गम हुआ है.

जब मां गंगा आई थीं सहारनपुर बाबा लाल दास रोजाना सहारनपुर से हरिद्वार गंगा स्नान के लिए जाया करते थे. बाबा लाल दास के दोस्त हाजी शाह कमाल के कहने पर बाबा लाल दास मां गंगा से प्रार्थना करके आए थे. अगले ही दिन मां गंगा बाबा लाल दास से प्रसन्न होकर सहारनपुर चली आई थीं. तभी से धरती से गंगा की कुल धारा निकली जो आगे जाकर नदी का रूप ले लेती है. आज भी शहर से होकर जा रही पांवधोई नदी पर कई घाट बनाए गए हैं और विभिन्न त्योहारों पर यहां पर लोग स्नान करने और पूजा पाठ करने पहुंचते हैं.

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मां गंगा के प्रिय भक्त थे बाबा लाल दास साहित्यकार डॉ वीरेंद्र आजम ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि पांवधोई नदी सहारनपुर की आध्यात्मिक, प्राचीन महत्व की नदी है. इसे सहारनपुर की लाइफ लाइन कहा जाता है. पांवधोई नदी का उद्गम सहारनपुर से करीब 7 किलोमीटर दूर गांव सकलापुरी सकलेश्वर महादेव के रूप में शिव विराजमान है. सकलेश्वर महादेव के मंदिर के करीब से पांवधोई नदी का उद्गम जमीन से हुआ है.

जमीन से पानी के बुलबुले उठते हुए दिखाई देते हैं, जो कि आगे जाकर एक नदी का स्वरूप ले लेते हैं. पांवधोई नदी सहारनपुर शहर के बीच से होकर गुजरती है. जो आगे जाकर ढमोला और हिंडन नदी में मिल जाती है. पांवधोई नदी सहारनपुर शहर में 4 से 5 किलोमीटर का सफर तय करती है. पांवधोई नदी के किनारे अनेक मंदिर हैं. बाबा लालदास घाट पर बैसाखी पर, सोमवती अमावस्या पर और विभिन्न ऐतिहासिक पर्वों पर बहुत विशाल मेले लगते रहे हैं. पांवधोई नदी में गंगा का स्रोत आता है, इसलिए इसे गंगा की धारा भी कहते हैं.
Tags: Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 12:26 IST

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