कानपुर. नदियों का प्रदेश कहलाने वाले उत्तर प्रदेश दशकों से अपनी इस पहचान को खो रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. दरअसल सूबे की नदियां फिर से देश में प्रदेश का परचम लहराएंगी. अब इन नदियों के पुनर्जन्म के लिए आईआईटी कानपुर आगे आया है. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर और सी गंगा के फाउंडर प्रोफेसर विनोद तारे ने नदियों का एक एटलस तैयार किया है. जानिए एटलस में खास क्या है?दरअसल उत्तर प्रदेश की कई ऐसी नदियां हैं, जो अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं. कुछ विलुप्त होने की कगार पर हैं. वहीं, कुछ का दूषित जल उन पर एक दाग के रूप में लगा हुआ है, लेकिन अब आईआईटी कानपुर ने जो कवायद शुरू की है उससे नदियों को एक नए जीवन की राह मिली है. प्रोफेसर तारे ने उत्तर प्रदेश के अंदर 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली 50 से अधिक नदियों का एक कंपलीट एटलस तैयार किया है. इसके बाद अब विभिन्न विभागों के साथ मिलकर इन नदियों को बचाने के लिए काम किया जाएगा.प्रधानमंत्री ने की थी गंगा काउंसिल पर बैठकप्रोफेसर विनोद तारे ने बताया कि यह कवायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देन है. दरअसल कुछ दिन पहले पीएम ने कई राज्यों के मुख्यमंत्री, जल शक्ति मंत्रालय के अफसरों व गंगा पर काम करने वाले विशेषज्ञों के साथ गंगा काउंसिल पर एक बैठक की थी. उस बैठक में प्रधानमंत्री ने प्रदेश में गंगा व उसकी सहायक नदियों को साफ बनाने और उन पर चल रहे कार्यों के विषय में जाना था. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह खास प्रोजेक्ट है. इसके तहत इन नदियों का एटलस तैयार किया गया है. अब इन नदियों में कौन सी समस्या है जिस वजह से यह बढ़ नहीं पा रही हैं और विलुप्त होने की कगार पर है. इसका पता लगाया जाएगा और इसको फिर से पुराना स्वरूप लौटाने का काम भी किया जाएगा. इसके साथ ही प्रोफेसर तारे ने बताया कि मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश की मंदाकिनी, चंद्रावल, रिंद, सिहु, श्याम, अर्जुन वरुणा, बेहटा, राप्ती, कल्याण, कुकरेल, सरयू, रोहिणी, मैलिन, धारा, महावा, गोवर्धन, गंगा, काली, ककवन समेत कई और नदिया इस एटलस का हिस्सा हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 20, 2023, 09:38 IST
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