आयुष तिवारी/कानपुर. कानपुर का सरसैया घाट शहर के सबसे पुराने घाटों में एक है. यहां रहने वाले 50 से अधिक परिवार पिछली कई पीढियां से नाव बनाने का कार्य करते हैं. नाव बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि यहां पर बनने वाली नाव अलग तरह की होती है. नाव में लकड़ी के साथ ही टीन की चादर लगाई जाती है.
खास बात यह है कि इस तरह की नाव पूरे देश में सिर्फ कानपुर में ही बनाई जाती है. कानपुर के इसी घाट से देश के कई हिस्सों में नाव की सप्लाई की जाती है. कारीगरों ने बताया कि टीन की नाव बनाने के लिए अलग तरह की कारीगरी की जरूरत होती है जो लकड़ी से बनने वाली नाव से बिल्कुल अलग होती है. सरसैया घाट पर नाव को बनाने के लिए लोग इसलिए मिल जाते हैं क्योंकि यहां पर रहने वाले कई पीढियां से नाव को बनाने का कार्य कर रहे हैं.टीन और लकड़ी से बनी नाव सिर्फ कानपुर में ही बनती है. इनका आकार 14 से 36 फुट तक होता है. नाव की चादर 24 गेज से 18 गेज तक रखते हैं. नाव की कीमत 15 से लेकर 25 हजार तक होती है.
क्या है मजदूरों की समस्या ?आज भी लकड़ी और टीन से बनी नाव सिर्फ कानपुर में ही मिलती है. नाव बनाने का सीजन सिर्फ 3 से 4 महीने का होता है. नदियों में जलस्तर बढ़ने पर नाव की डिमांड बढ़ जाती है. बरसात के बाद कारीगरों को काफी दिक्कत का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने के लिए यह कारीगर साल के 8 महीने मजदूरी का भी कार्य करते हैं. सीजन के समय भी इन कारीगरों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. जब नाव बनाने का सीजन आता है तो नाव में लगने वाली बबूल की लकड़ी को भी जमाखोर महंगा कर देते हैं.
सरकार से कारीगरों ने की मांगनाव बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि सीजन के समय में जमाखोर लकड़ी को महंगा कर देते हैं. ऐसे में सरकार को इन पर अंकुश लगाना चाहिए, साथ ही नाव बनाने वाली सामग्री पर सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए. वहीं उन्होंने मांग की है कि नाव बनाने के लिए सरकार एक जगह उनको मुहैया करा दे. जिससे वह अच्छी तरह से नाव बनाने का कार्य कर सकें.
जानें नाव की कीमतनाव बनाने वाली कारीगर अशोक निषाद बताते है कि वह बचपन से यहा पर नाव बनाने का कार्य कर रहे हैं. यहां की नाव पूरे प्रदेश भर में भेजी जाती है. ऐसी नाव सिर्फ कानपुर में बनती है. नाव को बनाने में करीब 4 दिन का समय लगता है. 15हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक कि नाव बेचते है.
.Tags: Kanpur news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 20, 2023, 21:52 IST
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