रिपोर्ट- विशाल भटनागर
मेरठ. किसानों की फसल अच्छी हो और उन्हें लागत से दोगुनी कीमत मिले, इसके लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं. इसी बीच चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय केमिस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर निखिल कुमार ने एक गजब का दावा किया है. कुमार का कहना है कि औषधि खेती करने वाले किसान भी यदि पुरानी पद्धति को छोड़ नई पद्धति को आजमएंगे तो ज्यादा मुनाफा कमाएंगे.
दरअसल डॉक्टर निखिल ने News18 Local से खास बातचीत करते हुए बताया कि अगर शुरू से ही नॉर्मल तापमान में तेल निकाला जाए तो 90 फीसदी तक तेल निकल सकता है. हालांकि यह विधि उन पर ही लागू होगी, जिससे उबाल का तेल प्राप्त किया जाता है. साथ ही बताया कि परफ्यूम, साबुन और शैंपू सहित अन्य प्रकार की मेडिसिन के लिए भी औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता है. ऐसे में अगर इस विधि के माध्यम से किसान भी तेल निकालने का कार्य करें, तो बड़ी मात्रा में तेल का उत्पादन होगा. दरअसल अभी जिस विधि के माध्यम से किसान तेल का उत्पादन करते हैं. उससे अधिक तापमान के कारण तेल उड़ जाता है. जबकि नई विधि में पौधों को धूप में सुखाने के बजाय छाया में सुखाया जाता है. इसके बाद सूखे पदार्थ के सीधे अधिकतम तापमान पर उबलने के बजाय अलग-अलग तापमान पर गर्म किया जाता है. शुरुआत में जहां 40 सेल्सियस डिग्री, उसके पश्चात 60, फिर 80 डिग्री सेल्सियस डिग्री और अंतिम समय में 100 सेल्सियस डिग्री पर उबाला जाता है
इस पौधे पर विकसित की गई है विधिडॉक्टर निखिल ने बताया कि इस विधि को कैल्केरटा पर विकसित किया है. यह पौधा अत्यंत खुशबू वाला होता है. इसके तेल का प्रयोग आयुर्वेद दवाइयों से लेकर विभिन्न उद्योगों में भी उपयोग किया जाता है. इतना ही नहीं विभिन्न प्रकार की इसकी प्रजातियां हैं और काफी मसालों में भी इसका उपयोग होता है. बताते चलें कि वेस्ट यूपी में अधिकतर गन्ने की खेती की जाती है, लेकिन कुछ क्षेत्र में देखा जाता है कि गेंदे के फूल, गुलाब सहित अन्य प्रकार के खुशबूदार पौधों की भी खेती की जाती है. ऐसे में इस विधि का उपयोग किया जाएगा तो उन किसान को फायदा होगा.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Medicinal Farming, Meerut newsFIRST PUBLISHED : September 15, 2022, 10:25 IST
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