Kachnar: कचनार को अगर कुदरत का अनोखा खजाना बोला जाए, तो ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. इसमें ऐसे अनगिनत फायदे छिपे हैं, जो जोड़ों के दर्द से लेकर थायराइड, गांठों की समस्या से लेकर पेट के डाइजेशन को दुरुस्त करने तक ‘कचनार’ का जादू हर बीमारी पर असर दिखाता है. आइए जानते हैं इससे जुड़े फायदों के बारे में.
कहां होती है पैदावार?’कचनार’ का पौधा अपनी खूबसूरत फूलों की वजह से जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम ‘बौहिनिया वैरीगेटा’ (Bauhinia variegata) है, ये चीन (China) से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया (South East Asia) और भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) तक पाया जाता है. भारत में खास तौर पर पहाड़ी इलाकों में इसे बहुत पसंद किया जाता है और हिमाचल प्रदेश इसका एक मेन हब है.
इन बीमारियों में आता है कामइंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस में छपी एक स्टडी के मुताबिक, इस पौधे का आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और पारंपरिक चाइनीज मेडिसिन में डायबिटीज, इनफ्लेमेशन, सांस से जुड़ी समस्याओं और त्वचा रोगों जैसे अलग-अलग बीमारियों के इलाज में कारगर बना गया है. इसके औषधीय महत्व के अलावा, ‘बौहिनिया वैरीगेटा’ कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व भी रखता है.
खूबसूरत संस्कृति का हिस्साइसे अक्सर इसकी सुंदरता और प्रतीकात्मक मूल्य के लिए सम्मानित किया जाता है, इसके फूलों का उपयोग धार्मिक समारोहों, त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में किया जाता है. लोककथाओं, पौराणिक कथाओं और स्थानीय परंपराओं के साथ पौधे का जुड़ाव अलग-अलग समुदायों में इसके सांस्कृतिक महत्व को और भी रेखांकित करता है. हमारे देश में देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती को अर्पित किया जाता है.
आयुर्वेद का वरदानआयुर्वेद के अलग-अलग ग्रंथों में इसका जिक्र है. चाहे वह इसकी छाल हो, फूल हो या पत्तियां या अन्य हिस्सा, ये एक दवा की तरह काम करता है. ‘कचनार’ की सब्जी पेट के पाचन में सुधार करती है, जो कब्ज, गैस और अपच को दूर करने में मददगार साबित होती है.
स्किन के लिए अच्छाइसे त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना गया है. ‘कचनार’ के फूल और छाल में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो खुजली, फोड़े-फुंसियों और दाद जैसी त्वचा संबंधित समस्याओं को राहत दिलाती है। साथ ही, इसे थायराइड और गांठों को ठीक करने में असरदार माना जाता है.
सब्जी की तरह पकाकर खाएंआयुर्वेद में ‘कचनार’ को थायराइड और शरीर में गांठों को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है. यह रक्त-पित और इससे जुड़ी समस्याओं को दुरुस्त करने में लाभकारी माना गया है. इतना ही नहीं, ‘कचनार’ की सब्जी भी बनाई जाती है. हिमाचल में इसे स्थानीय भाषा में ‘कराली’ या ‘करयालटी’ कहा जाता है. इसका स्वाद थोड़ा सा कड़वा होता है, लेकिन पकने के बाद यह खाने में बेहद ही स्वादिष्ट लगता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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