विशाल भटनागर/मेरठ. कैंट स्थित औघड़नाथ मंदिर से हर कोई परिचित है. 10 मई 1857 का क्रांति संग्राम इसी मंदिर से शुरू हुआ था. क्या आपने उस कुएं को देखा है, जिससे एक साधु द्वारा काली पलटन के सैनिकों में क्रांति की ज्वाला उत्पन्न की गई थी. अगर नहीं देखा तो आज इस खबर में हम उस कुएं के बारे में बताएंगे. दरअसल औघड़नाथ मंदिर में जो शहीद स्मारक बना हुआ है. इसके नीचे ही वह कुआं आज भी क्रांति की यादों को संजोए है.इतिहासकार विग्नेश कुमार त्यागी बताते हैं कि विभिन्न ऐतिहासिक तथ्य में औघड़नाथ मंदिर में एक साधु का जिक्र है, जिसने काली पलटन के सैनिकों में क्रांति की ज्वाला उत्पन्न की थी. वह बताते हैं कि इस साधु के बारे में उल्लेख है कि जो भी सैनिक मंदिर में बने कुएं से पानी पीने के लिए आते थे. वह उन सभी सैनिकों से नाम पूछने के बाद धर्म पूछता था. जैसे ही कोई अपना धर्म बताता था, तो उनसे कहता था कि तुम गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूस मुंह से खोलते हो ऐसे में इस मंदिर के कुएं नहीं पिलाऊगा. साधु की इस बात से ही सैनिकों में क्रांति की ज्वाला उत्पन्न होने लगी थी.सैनिकों ने कर दिया था विद्रोहकारतूस को लेकर सैनिकों ने विद्रोह शुरू कर दिया था. विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी सैनिकों द्वारा उन सभी 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल करते हुए उन्हें विक्टोरिया पार्क की जेल में भेज दिया था. जैसे ही यह बात अन्य सैनिकों को ही पता चली तो यह चिंगारी एक ज्वाला बन गई और इसके बाद कई अंग्रेजी अधिकारियों को भी भारतीय सैनिकों द्वारा मार गिराया था. बता दें कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित विभिन्न राजनेता मंदिर में उन सभी क्रांतिकारियों को नमन कर चुके हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : May 04, 2023, 17:31 IST
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