जिस मंदिर में घंटा चढ़ा कर बनते थे डकैत, अब वहां बढ़ रहा पर्यटन, योगी के मंत्री ने चढ़ाया 14 सौ किलो का घंटा

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जिस मंदिर में घंटा चढ़ा कर बनते थे डकैत, अब वहां बढ़ रहा पर्यटन, योगी के मंत्री ने चढ़ाया 14 सौ किलो का घंटा



हाइलाइट्सबटेश्वर में यूपी के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बुधवार को 14 सौ किलो का घंटा चढ़ाया उत्तर प्रदेश सरकार अब इसे पर्यटन से जोड़ने का काम कर रही हैरिपोर्ट: शिव कुमार प्रजापति

आगरा. पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मस्थली बटेश्वर में यमुना किनारे स्थित 101 मंदिरों की श्रृंखला तीर्थराज बटेश्वर में यूपी के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बुधवार को 14 सौ किलो का घंटा भगवान को समर्पित किया. यह वो जगह है जहां कभी डकैत घंटा चढ़ाने आते थे. जब तक यहां घंटा नहीं चढ़ता था, बीहड़ में कूदने वाले को बागी नहीं माना जाता था. उत्तर प्रदेश सरकार अब इसे पर्यटन से जोड़ने का काम कर रही है. काफी बड़े स्तर पर क्षेत्र के विकास का कार्य करवा कर इसे टूरिज्म सर्किट से जोड़ा जा रहा है.

प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह बुधवार को अपने दोनों पुत्रों और समर्थकों के साथ बाह तहसील के अंर्तगत तीर्थराज बटेश्वर धाम पहुंचे. यहां उन्होंने विधिवत पूजा अर्चना के साथ भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया. मंत्री ने भगवान को 14 कुंटल वजनी पीतल का घंटा समर्पित किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि सनातन संस्कृति के प्रतीक बटेश्वर धाम में श्रद्धा भाव से सावन के शुभ अवसर पर पूजा करने आए हैं. यह भगवान भोलेनाथ की ही कृपा है कि चंद्रयान सकुशल लैंड हुआ और पूरे विश्व में भारत का जयगान किया जा रहा है.

लोगों की श्रद्धा का केंद्र है बटेश्वरआगरा में चंबल नदी के बीहड़ों के पास यमुना के किनारे 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला तीर्थराज बटेश्वर का अलग महत्व है. यूपी और एमपी के लाखों श्रद्धालु सावन में यहां कांवड़ चढ़ाने और अभिषेक करने आते हैं. पुराने समय में बागी डकैत बनने से पहले मंदिर में घंटा चढ़ाकर ही बीहड़ में कूदते थे. नामी डाकू मानसिंह भी यहां घंटा चढ़ा चुका है.

476 साल पुराना है इतिहासआगरा की बाह तहसील में बटेश्वर गांव के मंदिर तीर्थराज बटेश्वर पर सावन में हजारों श्रद्धालु आते हैं. यहां पहले शिवलिंग की स्थापना 1646 में भदावर घराने के राजा बदन सिंह ने की थी. मान्यता है कि उनके एक बेटी थी और उन्हें अपने राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में पुत्र की आवश्यकता थी. यमुना किनारे उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी और पूजा शुरू की. शिव के आशीर्वाद से उनकी पुत्री लड़की से लड़का बन गयी थी. इसके बाद 1655 से 1773 तक भदावर घराने के राजाओं ने 40 शिवलिंग स्थपित किये. वर्तमान में यहां 101 शिवलिंग स्थापित हैं. मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान शिवखुद धरती पर गंगास्नान के लिए आते हैं. राजा भदावर घराने द्वारा यमुना के जल से शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद से यहां सभी ग्रामीण अभिषेक करने आने लगे. लोग यमुना में स्नान कर पावन जल लेकर भगवन के जलाभिषेक करते हैं. हर वर्ष यहां सावन के सोमवार पर 1 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते है. कोरोना काल में यहां कांवड़ लाने वालों की संख्या कम हुई थी.

डकैतों ने शुरू की थी घंटा चढ़ाने की परंपरास्थानीय निवासी राजेश पाराशर का कहना है कि यहां मनोकामना पूरी होने पर पीतल का घंटा चढ़ाने की परंपरा है. पहले जमींदार या राजा के अत्याचार के खिलाफ लोग बागी होकर बीहड़ में कूद जाते थे. डकैतों में बीहड़ में जाने से पहले यहां घंटा चढ़ाने की परंपरा थी. डकैत कोई भी बड़ा काम करने से पहले बटेश्वर धाम आकर आशीर्वाद लेते थे. कुख्यात डाकू मानसिंह ने भी यहां घंटा चढ़ाया था. आज भी यहां कई घण्टों पर बागियों के नाम लिखे मिल जाएंगे. डाकू घुनघुन परिहार ने यहां घंटा चढाकर बागी बनने का ऐलान किया था. डाकू पान सिंह तोमर जब भी कोई बड़ा काम करता था तो यहां घंटा चढ़ाता था. मंदिर में रहने वाले साधु सीताराम दास ने बताया कि 1978 की बाढ़ में मंदिर परिसर का पीपल का पेड़ बह गया था. इस बाढ़ में यहां के सैकड़ों घंटे बह गए. आज भी यहां हजारों घंटे मौजूद हैं.

अटल जी की अस्थियों का हुआ विसर्जनपूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी बाजपेयी बटेश्वर के रहने वाले थे. आज भी यहां उनके परिजन रहते हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने यहां से ट्रेन गुजारने के प्रयास किये थे. भाजपा की मोदी सरकार ने उनके जन्मदिन 24 दिसंबर को यहां रेल सेवा शुरू की थी. उनके स्वर्गवास के बाद उनकी अस्थियों का विसर्जन यहां किया गया. सीएम योगी से लेकर तमाम बड़ी हस्तियां यहां आशीर्वाद ले चुकी हैं.

काशी की तर्ज पर होती है यमुना आरतीतीर्थराज बटेश्वर धाम पर रोजाना यमुना की आरती की जाती है. देव दीपावली पर यहां दीपोत्सव का नजारा देखने वाला होता है.

.Tags: Agra news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 10:07 IST



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