जिन हाथों में होनी चाहिए कलम और किताबें, उस उम्र में जन्नत ने संभाल रही है ई-रिक्शा का स्टेरिंग

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जिन हाथों में होनी चाहिए कलम और किताबें, उस उम्र में जन्नत ने संभाल रही है ई-रिक्शा का स्टेरिंग



आशीष त्यागी/बागपतःजिन हाथों में इस समय कलम और किताबें होनी चाहिए. उन हाथों में ई रिक्शा का स्टेरिंग है. ई रिक्शा चलाने की एक बड़ी वजह घर में आमद ना होना.ऊपर से परिवार के जो सदस्यों का खर्च उठाने का जिम्मा भी मासूम के कंधों पर आ गया है.यह एक ऐसी युवती की कहानी है जिसने पांचवी कक्षा के बाद स्कूल जाना छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ अपने परिवार का घर का खर्च उठाने लगी.आज वह ई रिक्शा चलाकर अपने घर का पालन पोषण कर रही है.

बागपत के नया गांव निवासी जन्नत ई-रिक्शा चला कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है.कक्षा पांच पास करने के बाद पिता बीमार रहने लगे और माता घर से बाहर जाने से कतरा रही थी. इस कारण भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते जन्नत को परिवार का खर्च उठाने के लिए अलग-अलग जगह जाकर काम करना पड़ा. घर से बाहर जाने पर घर के लोगों को फिक्र होती थी. इसके बाद उसने ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने की बात सोची.

परिवार का कर रही पालन पोषणई-रिक्शा चलाकर आज वह अपने परिवार का पालन पोषण बड़े अच्छे से कर रही है.जन्नत के पिता इकबाल का कहना है कि वह बीमार रहते हैं, जिसके चलते बड़ी बेटी जन्नत घर का परिवार का खर्च उठा रही है.19 वर्षीय जन्नत रोड पर रिक्शा चलाती है, लेकिन प्रदेश सरकार में माहौल इतना बेहतर है कि कोई दिक्कत नहीं होती.इकबाल के सात बच्चे हैं, जिनमें 6 बेटियां और एक बेटा है.सबसे बड़ी बेटी जन्नत है जो आज के समय में परिवार के लिए संघर्ष कर रही है.

सड़क पर सुरक्षित महसूस करती है जन्नतजन्नत का कहना है कि वह रोड पर रिक्शा चलाती हैं, सुरक्षित माहौल में उन्हें रिक्शा चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती.बागपत के तमाम अधिकारियों का व्यवहार अच्छा है.रोड पर अपने आप को सुरक्षित महसूस करती है.वहीं जिन सवारियों को भी रिक्शा में बैठाती है उनसे भी कोई समस्या नहीं होती और समय पर घर पर पैसे आते हैं, जिससे परिवार का खर्च आसानी से चल रहा है.

.Tags: Baghpat news, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : September 21, 2023, 14:27 IST



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