हाइलाइट्सजौनपुर की अटाला मस्जिद पर हिन्दू मंदिर होने का दावा इस मामले में आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई आज मुस्लिम पक्ष ने लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ की अपील प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद के बाद अब जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर शुरू हुआ विवाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है. अटाला मस्जिद को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में मस्जिद की जगह मंदिर का दावा करने वाले स्वराज वाहिनी संगठन की ओर से अपना जवाब दाखिल किया जाएगा.
अटाला मस्जिद की वक्फ कमेटी की तरफ से याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में जौनपुर के जिला जज द्वारा पुनरीक्षण अर्जी पर दिए गए आदेश को चुनौती दी गई है. जिला जज जौनपुर ने इसी साल 12 अगस्त को आदेश जारी कर जौनपुर की जिला कोर्ट में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता को मंजूरी दे दी थी. इससे पहले जौनपुर जिला कोर्ट के सिविल जज ने 29 मई को मुकदमे को अपने यहां रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू किए जाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की तरफ से दाखिल याचिका में 29 मई और 12 अगस्त के दोनों आदेशों को चुनौती दी गई है.
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ये है हिंदू पक्ष दावागौरतलब है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर जिला कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर यह दावा किया था कि जौनपुर की अटाला मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. उन्होंने कहा था कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई है, वहां पर पहले अटाला देवी का मंदिर था. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने कराया था. लेकिन फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर कब्जा करने के बाद मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था. स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका में अटाला मस्जिद को अटाला देवी का मंदिर बताते हुए पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में होगी.
दावे पर भड़के असदुद्दीन ओवैसीAIMIM के चीफ असादुदीन ओवैसी जौनपुर अटाला मस्जिद मामले पर भड़क उठे और सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था. कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे. प्रत्येक “वाहिनी” “परिषद” “सेना” आदि के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है. पूजा स्थल अधिनियम की रक्षा करना और इन झूठे विवादों को समाप्त करना उनका कर्तव्य है. ‘
Tags: Allahabad high court, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 10:01 IST