सौरव पाल/मथुरा. ब्रज में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. ब्रज के कई मंदिर लड्डू गोपाल के लिए तैयार हो रहे हैं और मंदिरों की रौनक अब से ही देखने लायक है. जन्माष्टमी के मौके पर कई लोग अपने घरों में ब्रज से भगवान कृष्ण की मूर्तियां भी लेकर जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आपके घर पर विराजमान होने वाले लड्डू गोपाल का शृंगार किया जाता है.
वृंदावन में रहने वाले विजय करीब 2 सालों से भगवान कृष्ण की अलग-अलग मूर्तियों के शृंगार का काम करते हैं. उन्होंने कभी भी किसी से इस कला के लिए प्रशिक्षण नहीं लिया, लेकिन कृष्ण की भक्ति ने उन्हें इस काम में माहिर बना दिया.
विजय ने बताया कि भगवान की मूर्ति के शृंगार को ‘अंगराग’ कहा जाता है. इसके लिए एक्रिलिक कलर का इस्तेमाल होता है. जब भी कोई मूर्ति आती है, तो सबसे पहले उसके नेत्र बनाए जाते हैं और मत्स्य आकर में नेत्रों को कटाक्ष दिया जाता है ताकि वह बिलकुल असली आंखें लगे.
यह भी पढ़ें : ‘मैं निकला ओ गड्डी ले के’…9 ट्रक और बुलडोजर लेकर गदर-2 देखने पहुंचे दर्शक
इन चीजों के बिना अधूरा है लड्डू गोपाल का श्रृंगार
इसके बाद ठाकुर जी के होठ, बालो को रंगा जाता है साथ ही हाथ और पैरों में महावर लगाया जाता है, साथ ही भगवान के शरीर पर अलग-अलग तरह के बेल, फूल, पट्टियों से भी शृंगार किया जाता है. श्री कृष्ण के प्रिय मोर पंखों से बाजूबंद बनाए जाते हैं.
मूर्ति का श्रृंगार करने में लगता है 1.30 का समय
कई लोग भगवान के कपड़ों को भी अंगराग करवाते हैं. इसके अलावा, अलग-अलग संप्रदायों के और भक्त की आस्था के अनुसार तिलक किए जाते हैं. जिसमें गौड़ीय, हरिदासी, हरिवंशी, निम्बार्की समेत कई संप्रदायों के तिलक शामिल होते हैं. उसके बाद भगवान के मुख पर भी कई प्रकार का शृंगार किया जाता है, जैसे की कोल्का, चंदन और बेल बूटे का शृंगार. इस तरह से एक मूर्ति का श्रृंगार करने में करीब डेढ़ घंटे से भी अधिक का समय लगता है.
.Tags: Local18, Mathura news, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 25, 2023, 23:10 IST
Source link