जानें बरेली के किस भाग को कहते थे ब्रिगटान, अंग्रेजों ने आखिर क्यों दिया था यह नाम

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जानें बरेली के किस भाग को कहते थे ब्रिगटान, अंग्रेजों ने आखिर क्यों दिया था यह नाम



अंश कुमार माथुर/बरेली : बरेली शहर के बीचों-बीच आज से लगभग 5 सौ साल पहले एक बड़ा बाग था. इस बाग में विरक्त (वैरागी) लोग ध्यान, साधना और तपस्या के लिए यहां रहते थे. जहां उन्होंने एक मंदिर भी स्थापित किया था. बड़े-बड़े पेड़ों से घिरा शहर का यह पूरा हिस्सा विरक्त, सन्यासी और वैरागी लोगों के रहने की वजह से बाग विरक्तान कहा जाने लगा और जब अंग्रेजी शासनकाल आया तब से यह बाग ब्रिगटान के नाम से मशहूर हुआ.

आज जिस जगह शहर कोतवाली, कुमार टॉकीज, पुराना रोडवेज, नाॅवल्टी चौराहा स्थित है. यह सब बाग ब्रिगटान कहलाता था. पुराने रोड़वेज के पीछे आज भी 535 साल पुराना प्राचीन जग्गनाथ भगवान का मंदिर और तपस्वियों की समाधियां बनी हुई है. मंदिर के मंहत राम नारायण दास ने बताया कि इस मंदिर का वर्ष 2018 में जीर्णोद्धार कराया गया है. कुछ पुराने अवशेष आज भी यहां मौजूद है.

जेलर साहब के नाम से मशहूर हुआ था बेटा

वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार डॉ. राजेश शर्मा बताते है कि अंग्रेजी शासनकाल में उस समय खैरूद्दीन पढ़े लिखे व्यक्ति थे, अंग्रेजों ने उन्हें शहर का डिप्टी मजिस्ट्रेट बना दिया और बाग़ ब्रिगटान को अंग्रेजों ने खैरूद्दीन को दे दिया अब उनके मालिक हो जाने पर यह पूरा इलाका हाता डिप्टी खैरूद्दीन के भी नाम से मशहूर हुआ. डिप्टी खैरूद्दीन की बेगम बदरूनिस्सा के एक बेटी इज़्ज़तुन निशां और एक बेटा था जो जेलर साहब के नाम से मशहूर हुआ.

बरेली के बाग ब्रिगटान में 1927 में बनी शहर कोतवाली

बरेली का विकास हो रहा था अंग्रेजों के जमाने की तहसील भी कुतुबखाने से हटाकर आज के सिविल लाइंस में बना दी गई थी. अकब कोतवाली भी अंग्रेजों की तहसील के सामने ही बनी थी. तब उस जगह ज्यादा भीड़-भाड़ होने की वजह से बरेली की नई कोतवाली के लिए जगह तलाशी गई, तब बाग ब्रिगटान का यह हिस्सा समझ आया जहां आज शहर कोतवाली स्थित है.

बाग के इस हिस्से में वर्ष 1927 में नयी कोतवाली बनाई गई. जो आज भी बरेली की मुख्य कोतवाली के रूप में स्थित है. इसके पीछे के बड़े हिस्से में सिपाहियों के लिए मकान भी बनाए गए है. इसके बाद बरेली का सबसे पहला रोडवेज बस स्टैंड भी बाग ब्रिगटान के दूसरे हिस्से में बनाया गया.

कोठी में बना था आज का कुमार सिनेमा

पुराने रोडवेज और इंपिरियल टॉकीज का हिस्सा डिप्टी मजिस्ट्रेट खैरूद्दीन के बेटे जेलर साहब के हिस्से में था. कोतवाली और इसके साथ की सारी बड़ी जमीन डिप्टी मजिस्ट्रेट खैरूद्दीन की बेटी इज़्ज़तुन निशाँ के हिस्से में आयी थी. उस समय बदायूं जिले में रमजानपुर कस्बे के बड़े खानदान के तुफैल अहमद जज थे. उनकी पहली बेगम का बेटे की पैदाइश के बाद इंतकाल हो गया. तुफैल अहमद का दूसरा निकाह डिप्टी खैरूद्दीन की बेटी इज़्ज़तुन निशांसे हुआ.

इस दंपति के चार बेटे व एक बेटी हुई. चार बेटों में सुल्तान अहमद, शमशाद अहमद, खुर्शीद अहमद और सैयद अहमद हुए और बेटी मलका जमानी बेगम हुईं. तुफैल अहमद को बरेली से लगाव हो गया था. तब अपनी बेगम की जमीन पर उन्होंने एक बहुत बड़ी कोठी बनवायी और उसके अगले हिस्से में एक सिनेमा घर बनवाया. जिसे लोग आज कुमार टॉकीज के नाम से जानते हैं. कोठी के पास में डिप्टी मजिस्ट्रेट खैरुद्दीन के खानदान का एक कब्रिस्तान भी बना हुआ है. जहां इनके परिवार के सदस्यों को दफ़नाया गया है.
.Tags: Bareilly news, Local18, UP news, बरेलीFIRST PUBLISHED : September 19, 2023, 22:19 IST



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