रजनीश यादव/ प्रयागराज: अगर आप उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में घूमना चाहते हैं, तो यहां के सबसे पुराने चर्च में शुमार कैथेड्रल चर्च जो सिविल लाइन में स्थित है. वहां का भ्रमण कर सकते हैं. लगभग 153 साल पुराना यह चर्च अपनी बनावट के लिए लोगों को खूब आकर्षित करता है. शहर को बीचो-बीच स्थित होने के कारण आने जाने वालों की निगाहें यहां अक्सर टिक जाया करती हैं और एक बार जरूर या जानने की कोशिश करता है कि आखिर यह क्या है.क्या है इसका इतिहास
दरअसल 19वीं शताब्दी में निर्मित यह चर्च वास्तुकला की गोथिक शैली में निर्मित होने से काफी चर्चा में रहती है,वजिसका डिजाइन 1871 ईस्वी में ब्रिटिश वास्तुकार सर विलियम एमरसन ने तैयार किया था. दरअसल विलियम एमरसन को कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल और सेंट्रल कॉलेज ऑफ इलाहाबाद की डिजाइन बनाने का श्रेय भी दिया जाता है. पत्थरों से बने इस चर्च को लोग पत्थर गिरजाघर के नाम से भी जानते हैं, रिवरेन डॉक्टर अमिताभ राय के अनुसार सेंट कैथेड्रल चर्च अपनी बेहतरीन बनावट के चलते एशिया के सबसे बेहतरीन एंगिकल में से एक माना जाता है.
कैसे बना है यह चर्च?ब्रिटिश काल में बने इस गिरजाघर की इमारत, चर्च के निर्माण में क्रीम और लाल रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसमें संगमरमर का ऑल्टर, मोज़ेक का काम, स्टेंड ग्लास के पैनल लोगों को आकर्षित करते हैं. चर्च की पल्पिट (प्रार्थना पढऩे की जगह) काफी भव्य है. बलुआ पत्थर से निॢमत मेहराब व हरियाली से परिपूर्ण लॉन ऑल सेंट्स कैथेड्रल को दर्शनीय बनाते हैं.
एक साथ 400 लोग कर सकते हैं प्रार्थनाचर्च को सप्ताह में एक दिन रविवार को खोला जाता है, इस दिन ईसाई धर्म के लोग यहां पे करने के लिए आते हैं. इसके अलावा या चर्च साल भर आम लोगों के लिए बंद रहता है. केवल 22 दिसंबर को क्रिसमस-डे पर सभी के लिए खोला जाता है. इस दिन पत्थर गिरजाघर पर मेले का आयोजन होता है. इस दिन पत्थर गिरजाघर को खूब बेहतरीन ढंग से सजाया जाता है और अन्य लोग भी आके यहां 22 दिसंबर को प्रे करते हैं. 40 फीट चौड़े बाय 130 फीट लंबे प्रे हाल में एक साथ 400 से अधिक लोग बैठकर प्रे कर सकते हैं. इसमें प्रवेश के लिए दक्षिण व उत्तर दिशा में दो बड़े दरवाजे हैं. इसमें तीन टावर बने हैं. जिनमें तत्कालीन इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को भी एक टावर समर्पित है.
12वीं सदी में यह शैली फ्रांस में जन्मीचर्च की इमारत के चारो तरफ पेड़ और फूल लगे हुए हैं जो इमारत की खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं,जो प्रयागराज के बेहतरीन स्थलों में शामिल किया जाता है. यूरोपियन वास्तुकला की एक खास शैली है गोथिकरेवरन डा. अमिताभ रॉय बताते हैं कि ऑल सेंट्रस गिरजाघर गोथिक वास्तु शैली पर बना है जो कि यूरोप में उत्तर मध्य काल में प्रचलित थी. 12वीं सदी में यह शैली फ्रांस में जन्मी. मेहराब, रिब्ड वॉल्ट्स और पत्थरों की संरचना इस वास्तु शैली की विशेषता है. इस वास्तु शैली पर ब्रिटिश भारत में कई चर्चों का निर्माण हुआ था जो आज भी मौजूद है.
.Tags: Local18, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 11:50 IST
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