सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद. एक कहावत है कि अगर आपके पास हुनर है तो आप किसी की मेहरबानियों के मोहताज नहीं है. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के बंदरखेड़ा गांव निवासी कुंवर पाल के साथ हुआ. कुंवर पाल पहले गुरुग्राम में ट्रक चलाकर मजदूरी का काम किया करते थे. मजदूरी के काम से मुश्किल से खर्चा चल पाता था. उसके बाद वह वापस घर लौट आए और भेड़ पालन शुरू किया. इससे आज वो अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.कुंवर पाल ने बताया कि वह पहले गुरुग्राम में ट्रक चलाकर मजदूरी का काम करते थे. मजदूरी के काम से परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाता था. ऐसे में जब घर लौटा तो मन में एक आइडिया आया क्यों न भेड़ पालन किया जाए. घर में पहले से 15 भेड़ थीं. इसके साथ 45 भेड़ और खरीद कर भेड़ पालन की शुरुआत कर दी. आज कुंवर पाल भेड़ पालन से महीने में 50 से 60 हजार मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, इसके साथ-साथ खेती भी कर रहा है. कुंवर पाल ने बताया कि हम खेती-बाड़ी के साथ-साथ भेड़ पालन का काम करते हैं. भेड़ पालन हमारा पार्ट टाइम जॉब है. इसमें प्रतिदिन 5 से 6 घंटा देते हैं और मुनाफा भी बेहतर हो जाता है.किसान के लिए चलता फिरता है एटीएमकुंवर पाल ने बताया कि भेड़ से निकलने वाला जैविक उर्वरक 8 से 10 रुपये प्रति किलो बिक जाता है. रोज 200 से 300 रुपये इससे भी निकल जाता है. साथ ही बताया कि अभी दो तीन नस्ल की भेड़ पालन करते हैं. एक गुजरी नस्ल जो की देसी भेड़ है, वहीं इसके अलावा गद्दी, मगरा नस्ल की भेड़ पालन भी कर रखा है. कुंवर पाल ने कहा कि कश्मीर में मांस का काफी क्रेज है. ऐसे में भेड़ पालन हमारे लिए काफी फायदेमंद है. यहां पर भेड़ पालन छोटे तबके के किसान के लिए चलता फिरता एटीएम है. भेड़ का बच्चा आसानी से बिक जाता है, तो वहीं सर्दियों के दिनों में ऊन भी काफी मिलती और अच्छी कीमत पर बिकती है. कुंवर पाल ने बताया कि 1 साल में भेड़ दो बार प्रजनन करती है. अगर इसकी अच्छे से देखभाल की जाए तो प्रत्येक मादा भेड़ दो बच्चे एक बार में देती है. साथ ही बताया कि उनके पास 50 से अधिक इस समय भेड़ मौजूद हैं. प्रजनन के बाद होने वाले बच्चे बड़े होकर वह बिक्री कर देते हैं जो कि कश्मीर के बाजार तक जाती हैं. इसके अलावा इन भेड़ों से जैव उर्वरक और दूध के साथ ही मांस व चमड़ा भी तैयार होता है..FIRST PUBLISHED : October 21, 2023, 11:14 IST
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