अभिषेक माथुर/हापुड़. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में किसानों को अगेती फसल दलहन, तिलहन और गेहूं की कम लागत में बंपर पैदावार के टिप्स दिए जा रहे हैं. किसानों को बुआई के बारे में जानकारी दी जा रही हैं. उन्हें बताया जा रहा है कि अगर वह इन फसलों की बुआई करते समय बीज शोधन और भूमि शोधन पर ध्यान देंगे, तो न सिर्फ फसल लहलहाती हुई आएगी, बल्कि पैदावार भी बंपर होगी.
हापुड़ जिले के कृषि विभाग में प्राविधिक सहायक हौसला प्रसाद ने बताया कि किसानों को बेहतर फसल की उपज के लिए ग्राम वझीलपुर में किसान कार्यशाला में टिप्स दिया जा रहा हैं. किसानों को दलहन, तिलहन और गेहूं की अच्छी फसल चाहिए, तो उन्हें बुवाई के समय ही खास ख्याल रखना होगा.
25 अक्टूबर से करें गेहूं की बुआईहौंसला प्रसाद ने किसानों को बताया कि 25 अक्टूबर से अगेती फसल गेहूं की बुआई शुरू हो रही है. किसानों को 20 नवंबर तक अपनी गेहूं की फसल की बुआई कर लेनी चाहिए. इसके अलावा बीज शोधन और भूमि शोधन पर अधिक ध्यान देना चाहिए. इससे न सिर्फ उनकी फसल अच्छी आने की संभावना रहेगी, भूमि शोधन में किसी तरह के कोई रोग लगने का खतरा भी नहीं होगा.
इन बीजों का करें प्रयोगप्राविधिक सहायक हौसला प्रसाद ने बताया कि किसानों को राजकीय बीज भंडार से गेहूं की उन्नतशील प्रजाति का बीज करन वंदना, डीबी डब्ल्यू 187 दिया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि एक बीघे में इस बीज की बुआई करने से चार से पांच कुंतल तक पैदावार होगी. किसानों को फसल की बुआई के बाद पानी का विशेष ध्यान रखना होगा. समय से खाद पानी देते रहना होगा.
भूमि शोधन से होगा ये लाभकृषि विशेषज्ञ हौसला प्रसाद ने बताया कि बीज बोने से पहले किसानों को भूमि शोधन करना अनिवार्य है. भूमि शोधन करने से किसानों को भूमि जनित रोगों से छुटकारा मिल जाता है. फसल में सफेद सूंधी, दीमक आदि लगने के डर से छुटकारा मिल जाता है. उन्होंने बताया कि इसके बाद बीज शोधन करने की किसानों को सबसे ज्यादा जरूरत है. कृषि विभाग द्वारा किसानों को 100 रूपये प्रति किलो के हिसाब से ट्राईकोडरमा पाउडर दिया जाता है
बुवाई के लिए छिटकवा विधि का न करें प्रयोगकृषि विभाग में प्राविधिक सहायक हौंसला प्रसाद ने कार्यशाला में बताया कि अधिकतर किसान बुआई छिटकवा विधि से करते हैं, जबकि उन्हें इस तरह से बुआई नहीं करनी चाहिए. इस विधि से बुआई करने के दो नुकसान है. उन्होंने बताया कि पहला नुकसान ये है कि छिटकवा विधि से बीज के ऊपर बीज पड़ जाता है और पशु भी बीज को खा लेते हैं और दूसरा नुकसान हवाओं के ज्यादा चलने की वजह से आर-पार नहीं हो पाती है, इसके दवाब की वजह से फसल नष्ट होती है. उन्होंने बताया कि लाइन से मशीन द्वारा पर्याप्त मात्रा में भूमि के अंदर बुवाई करने से न सिर्फ बीज को बेहतर खाद-पानी मिलता है, बल्कि हवाएं भी आसानी से आर-पार हो जाती है. खाद व पानी डालते समय भी सीधे लाइन में ही जाता है.
बुवाई से पहले बीज का ट्रीटमेंट जरूरीदलहन व तिलहन की खेती को लेकर डॉ. हौसला प्रसाद ने बताया कि दलहन में अधिकतर मटर, चना, मसूर की फसलें बोई जाती हैं. फसल की बुआई करते समय यही विधि को किसानों को अपनाना चाहिए. साथ ही तिलहन की बुआई के लिए किसानों को सरसों की मिनी किट का वितरण किया जा रहा है. इसमें किसानों द्वारा सबसे अधिक पायनियर एस-45, 46 प्रजाति का इस्तेमाल किया जाता है. सरसों की बुआई के समय सरसों के बीज को भी ट्रीट करके बोना चाहिए. विरलीकरण इसमें सबसे खास है. विरलीकरण यानि निराई-गुणाई करते समय जहां कईं बीज ज्यादा छिटक जाता है, तो उनकी छंटाई कर देनी चाहिए.
.Tags: Agriculture, Edible oil, Hapur News, Local18, Pulses Price, Uttar Pradesh News Hindi, Wheat cropFIRST PUBLISHED : October 23, 2023, 20:32 IST
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