Diabetes and fatty liver: डायबिटीज और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) में कई समानताएं हैं. वास्तव में, इनके बीच एक पारस्परिक संबंध होता है. इसका अर्थ है कि यदि किसी को NAFLD होता है, तो उस व्यक्ति में टाइप-2 डायबिटीज के विकास की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में NAFLD का विकास हो सकता है.
फैटी लिवर और डायबिटीज के बीच क्या संबंध है? लिवर उन अंगों में से एक है जहां इंसुलिन काम करता है. मोटापा इंसुलिन के काम को प्रभावित करता है और इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनती है, जो टाइप-2 मधुमेह का फैक्टर हो सकता है. लिवर में वसा कैसे जमा होती है? जब आपका वजन बढ़ता है तो पेट की चर्बी बढ़ती है. यह लिवर, पैंक्रियस, दिल और अन्य एक्टोपिक क्षेत्रों में जमा हो जाती है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न होता है. आप हेपेटिक और पैंक्रियास फैट को कम करके टाइप-2 डायबिटीज को पलट सकते हैं.
लिवर शरीर के ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए उसमें फैट जमा होने से फास्टिंग ग्लूकोस लेवल को कंट्रोल करना कठिन हो जाता है. यह अपनी वजह से पैंक्रियस और उसके बीटा सेल्स को तनाव में डालता है और टाइट-2 डायबिटीज को गतिशीलता प्रदान करता है.
फैटी लिवर रोग को कैसे नियंत्रित करें?
स्वस्थ आहार: आपको स्वस्थ और नियमित आहार लेना चाहिए जिसमें कम फैट, कम कैलोरी और अधिक पौष्टिकता हो. इसके लिए आपको पके हुए फल और सब्जियां, पूरे अनाज, फाइबर से भरपूर फूड और प्रोटीन शामिल करने चाहिए.
व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि आपके शरीर के वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है और फैटी लिवर को कम करने में सहायता प्रदान कर सकती है. आराम से शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी गतिविधि को बढ़ाएं.
वजन कम करें: यदि आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने का प्रयास करें. संतुलित डाइट और नियमित व्यायाम के साथ वजन घटाना आपको फैटी लिवर से निजात दिलाने में मदद कर सकता है.
शराब का सेवन न करें: अगर आप शराब पीते हैं, तो इसे कम करें या पूरी तरह से बंद करें. शराब फैटी लिवर को और इसके लक्षणों को बढ़ा सकती है.