Powdered Milk For Children: पाश्चराइज्ड मिल्क से पानी इवैपोरेट करके बनाया गया पाउडर वाला दूध, ताजे दूध का एक सुविधाजनक और लंबे समय तक चलने वाला ऑप्शन है. ये ज्यादातर पोषक तत्वों को बरकरार रखता है और सही ढंग से तैयार किए जाने पर आम तौर पर बच्चों के लिए सुरक्षित होता है. हालांकि, इसे 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं के लिए कभी भी मां के दूध या शिशु फार्मूला के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें शिशु के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है.
इसकी न्यूट्रिएंट वैल्यू
पाउडर वाले दूध में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन बी12 और डी होते हैं, जो बच्चों के विकास, हड्डियों के विकास और मांसपेशियों की मरम्मत के लिए जरूरी हैं. कई ब्रांड एक्ट्रा न्यूट्रिशन के लिए विटामिन ए और विटामिन डी से इसे मजबूत करते हैं. इसकी लंबी शेल्फ लाइफ बर्बादी को कम करती है, जिससे ये कई परिवारों के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बन जाता है.
सेफ्टी का रखें ख्याल
1. सही तरीके से प्रिपरेशन: पाउडर वाले दूध को गाइडलाइंस के मुताबिक साफ, उबले पानी के साथ मिलाएं.2. एलर्जी चेक करें: सुनिश्चित करें कि बच्चे को लैक्टोज इनटॉलरेंस या गाय के दूध से एलर्जी नहीं है.3. स्टोरेज: संदूषण को रोकने के लिए इसे ठंडी, सूखी जगह पर एक एयरटाइट कंटेनर में रखें।
पाउडर वाले दूध की कमियां
पाउडर वाले दूध के कई फायदे हैं, लेकिन इसकी कुछ कमियां भी हैं, जैसे-
1. न्यूट्रिएंट लॉस: विटामिन सी जैसे कुछ गर्मी के प्रति संवेदनशील विटामिन नष्ट हो सकते हैं.2. एडेड शुगर: कुछ ब्रांड्स में एडेड शुगर होते है, जो बच्चों के लिए सही नहीं है.3. टेस्ट में फर्क: कुछ बच्चों को यह ताजे दूध से अलग लग सकता है.
किसे इससे बचना चाहिए?
-12 महीने से कम उम्र के बच्चे-लैक्टोज इनटॉलरेंस वाले बच्चे-डेयरी एलर्जी वाले बच्चे
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.