चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली रही है. भगवान राम ने अपने वनवास काल के समय इसी चित्रकूट के जंगल और पहाड़ों में साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. ऐसे में हम आपको आज हम बताने जा रहे हैं कि आखिर धर्म नगरी का नाम चित्रकूट क्यों पड़ा. लोग इसको चित्रकूट के नाम से क्यों जानने लगे.चित्रा मुनि ऋषि करते थे यहां तपस्याबता दें कि चित्रकूट के पहाड़ों में चित्रा मुनि नाम के ऋषि तपस्या किया करते थे और उन्होंने लंबे समय तक तपस्या की. ऐसे में कुछ दिनों बाद इस चित्रकूट का नाम चित्रा मुनि के नाम से चित्रकूट रख दिया गया. ऋषि चित्रा मुनि की तपस्या और प्रभु राम के वनवास के दौरान यहां रुकने के कारण यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाला इलाका हो गया.पुजारी ने दी जानकारीचित्रकूट के पुजारी मोहित दास ने बताया कि वृंदावन में गोवर्धन पर्वत और चित्रकूट का पर्वत एक ही पर्वत है. यहां चित्रा नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे. तपस्या के दौरान उनका युद्ध देवराज इंद्र से हुआ तभी युद्ध के दौरान इस पर्वत के दो टुकड़े हो गए. एक हिस्सा गोवर्धन में स्थापित हो गया.जब इंद्रदेव को पता चला कि इस पहाड़ में चित्रा मुनि नाम के ऋषि तपस्या कर रहे हैं तब उनको दुःख हुआ कि कहीं उनकी तपस्या भंग न हो जाए इस लिए उन्होंने एक पर्वत के टुकड़े को लाकर यहां स्थापित कर दिया. अगर इसके नाम की बात की जाए तो चित्रा मुनि के तपस्या करने के कारण चित्रकूट का नाम चित्रकूट पड़ा और जब प्रभु श्री राम वनवास काल के दौरान यहां आए तो यह तीर्थ स्थल में बदल गया.FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 18:41 IST