विशाल झा/गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाविद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति (Biometric Attendance ) को अनिवार्य करने का नियम आया है. एक और जहां कॉलेज के नाम पर बंक करने वाले बच्चों के लिए यह एक अच्छी पहल है तो वहीं शिक्षकों को बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करवाना अपनी शाख पर चोट लग रहा है.गाजियाबाद के एमएस कॉलेज में शिक्षक बच्चों को पढ़ा तो रहे हैं. लेकिन सभी के हाथों में काली पट्टी बंधी हुई है. यह शिक्षकों के विरोध करने का तरीका है. प्रोफेसर क्रांतिबोध ने बताया कि शिक्षकों को बायोमेट्रिक उपस्थिति का पालन करने में कोई समस्या नहीं है. लेकिन समाज को आगे बढ़ाने वाले शिक्षक पर अगर सरकार संदेह कर रही है तो यह काफी ज्यादा चिंता की बात है. क्रांतिबोध बताते हैं कि शिक्षक पूरी निष्ठा और ईमानदारी से महाविद्यालय और स्कूल में बच्चों को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते है. इसके अलावा शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लगती है. समाज के कई जागरूक अभियान में भी शिक्षक का अहम रोल होता है. इसके बावजूद भी इस तरीके की गाइडलाइन लाना ठीक नहीं है.एमएमएच कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर पीयूष चौहान ने बताया कि अभी ऐसा कोई आदेश नहीं आया है कि कब से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी को लागू करना है. फिलहाल शिक्षकों की उपस्थिति हस्ताक्षर के माध्यम से दर्ज होती है. लेकिन अब सरकार के लाए इस नए नियम के विरोध में शिक्षक काली पट्टी बांधकर बच्चों को पढ़ा रहे है. वहीं, कॉलेज में पढ़ने वाले अंकुर का कहना है कि अब उन्हें रोजाना और समय से कॉलेज जाने की चिंता सताती रहेगी..FIRST PUBLISHED : August 21, 2023, 13:25 IST
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