निर्मल कुमार राजपूत / मथुरा: मथुरा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित पुरानी गोकुल में नंद भवन है, जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में घुटनों के बल चलना शुरू किया था. यही कारण है कि भक्त यहां घुटनों के बल चलकर भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने आते हैं. इस पवित्र स्थल पर भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है.
चौरासी खम्भा मंदिर, जो पुरानी गोकुल में स्थित है, भगवान कृष्ण के जीवन का एक महत्वपूर्ण स्थल है. यह मंदिर न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थस्थल है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया और यहां से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं उनकी दिव्य शक्ति को दर्शाती हैं.
84 खम्भों के लिए प्रसिद्ध है ये मंदिरयह मंदिर अपने 84 खंभों (स्तंभों) की अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे विशेष बनाते हैं. 84 खंभों से जुड़े पौराणिक महत्व के अनुसार, इस मंदिर के दर्शन से 84 कोस की परिक्रमा का फल मिलता है.
84 खम्भों का महत्वमंदिर के सेवायत पुजारी मोर मुकुट पाराशर ने बताया कि चौरासी खम्मा मंदिर भगवान श्री कृष्ण की बाल्यावस्था से जुड़ा है और इसे 84 खंभा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि भगवान कृष्ण ने यहां अपने बचपन में कई चमत्कार किए थे. यहां पर दर्शन करने के लिए भक्त घुटनों के बल चलते हैं, क्योंकि यही वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने पहली बार घुटनों के बल चलना शुरू किया था. मंदिर में भगवान कृष्ण की बाल्यावस्था की मूर्ति स्थापित है और विशेष अवसरों पर उन्हें झूला झुलाने की परंपरा भी निभाई जाती है. यह मंदिर भक्तों के लिए भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का साक्षी स्थल है.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Mathura newsFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 05:41 ISTDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.