हरिकांत शर्मा/आगरा: एक ओंकार का संदेश देने वाले सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव साहब का 554 वां प्रकाश पर्व 27 नवंबर को है. हर बार शहरभर के गुरुद्वारों में इस दिन श्रद्धालुओं को रैला उमड़ता है. इसके लिए आगरा के गुरुद्वारा में तैयारियां शुरू हो गई है. गुरु नानक देव का आगरा से गहरा नाता था. अपनी शिक्षाओं से मानव सेवा का संदेश देने वाले गुरु के चरणों से आगरा की धरती भी पवित्र हुई है. यहां उन्होंने गुरुद्वारा गुरु का ताल, गुरुद्वारा ,लोहामंडी गुरुद्वारा, माईथान पर अल्प प्रवास कर अनुयायिओं को आशीष वचन दिए थे. गुरु नानक के 554 में प्रकाश पर्व से पहले आगरा सिकंदरा स्थित गुरु का तालगुरुद्वारा को दुल्हन की तरह सजाया गया है.
आगरा का दुख निवारण गुरु का ताल गुरुद्वारा अपने आप में बेहद ऐतिहासिक गुरुद्वारा है. इस गुरुद्वारे का संबंध कई गुरुओं से है. इस स्थान पर सिख धर्म के नौंवें गुरु तेग बहादुर जी ने अपनी गिरफ्तारी दी थी. 9 दिनों तक गुरु तेग बहादुर जी को यहां पर बंदी बनाकर रखा गया था. गुरुद्वारा गुरु का ताल स्थित बोहरा साहब में उन्हें नजरबंद किया गया था. यहीं से उन्हें हजारों सैनिकों की देखरेख में दिल्ली चांदनी चौक ले जाया गया था. जहां उनकी शहादत हुई. धर्म की खातिर गुरु तेग बहादुर जी ने अपना शीश बलिदान कर दिया. दिल्ली चांदनी चौक पर आज भी शीशगंज नाम से गुरुद्वारा स्थित है.
आगरा आये थे चार गुरुश्री गुरु नानक देव महाराज जब दक्षिण पर थे तब वापसी के समय वे 1509 से 1510 ईसवी में आगरा आए. श्री गुरु हरगोबिंद साहिब 1612 ईसवी में आगरा पधारे. श्री गुरु तेग बहादुर साहिब का 1675 ईसवी में आगमन हुआ. श्री गुरु गोविंद सिंह जी 1707 में आगरा आए थे. इसी के साथ सिख धर्म के प्रसिद्ध विद्वान भाई नंद लाल और भाई गुरदास ने भी यहां रहकर प्रचार-प्रसार किया. वर्तमान में जहां गुरु नानक देव आए वहां गुरुद्वारा दुख निवारण, नया बांस ,लोहा मंडी, जहां गुरु हरगोबिंद साहिब आए. वहां गुरुद्वारा दमदमा साहिब और जहां गुरु तेग बहादुर साहिब पधारे वहां गुरुद्वारा माईथान है. जहां गुरु गोविंद सिंह का आगमन हुआ, वहां गुरुद्वारा हाथी घाट है. जहां गुरु तेग बहादुर साहिब के चरण पड़े, वहां गुरुद्वारा दुख निवारण गुरु का ताल है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भक्ति दुख निवारण गुरु का ताल गुरुद्वारा मन्नत लेकर पहुंचता है ,उसके सारे दुख हर लिए जाते हैं.
24 घंटे चलता है इस गुरुद्वारे में लंगरसिकंदरा स्थित गुरु का ताल गुरुद्वारे में 24 घंटों लंगर चलता है. इसके साथ कई सालों से यहां पर अखंड ज्योति जल रही है. यहां बिना रुके गुरु ग्रंथ साहिब,गुरबाणी का पाठ किया जाता है. गौरवशाली इतिहास को अपने आप मे समेटे हुए ये गुरुद्वारा बेहद खास है आज भी गुरुद्वारे के एक खास जगह पर उस जमाने के हथियार और तीर तलवार रखे हुए हैं. लोगों में इस गुरुद्वारे के प्रति खास श्रद्धा है हर रोज सैकड़ों की तादात में लोग इस गुरुद्वारे की चौखट पर माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं.
.Tags: Gurudwara, Local18FIRST PUBLISHED : November 26, 2023, 14:24 IST
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