अंजली शर्मा/कन्नौज: जलेबी का नाम सुन मुंह में पानी आ जाता है.आज भी लोगों के जुबान पर मिठास घोलने के लिए इसका खासा क्रेज है.ऐसे में कन्नौज में पाल जी की जलेबियां पूरे जिले में प्रसिद्ध है. जहां पर लोग दही जलेबी का स्वाद एक बार जरूर लेते हैं. इत्र खरीदारी करने वाले लोग भी यहां पर दही जलेबी खाने एक बार जरूर आते हैं.जनपद के मुख्यालय के सराय मीरा क्षेत्र के तिर्वा क्रासिंग के पास रेलवे मार्ग पर यह एक दही जलेबी की छोटी सी दुकान है. वैसे तो इस दुकान पर कोई बोर्ड नहीं है. जलेबी का काम करने वाले राधेश्याम पाल के नाम से भी लोग इनकी जलेबी को जानते हैं. सुबह-सुबह यहां पर गुमनाम गरमा-गरम जलेबी का नाश्ता करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं.सुबह करीब 7:00 बजे से यह दुकान खुल जाती है और 12:00 तक दोपहर में खुली रहती है.जलेबी का अनोखा स्वाद लोगों को अपनी तरफ खींचता है.दूर-दूर से जलेबियां खाने आते हैं लोगजलेबी दुकान मालिक राधेश्याम पाल ने कहा कि यह दुकान उन्होंने 1995 में शुरू की थी तब उन्होंने समोसे और जलेबी का काम किया था. जिसके कुछ सालों बाद उन्होंने समोसे का काम बंद कर दिया और सिर्फ जलेबी का काम करते हैं. वह अकेले ही इस दुकान को पूरा संभालते हैं. जलेबी बनाते समय वह शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं और अच्छी क्वालिटी का तेल और जलेबी बनाने में जिन चीजों का प्रयोग होता है. हमारे यहां जलेबी भी साधारण रेट पर मिल जाती है 10 से 20 रुपए में 100 ग्राम जलेबी और दही मिल जाता है. वहीं जिसको किलो के हिसाब से चाहिए होती है वह पहले हमें ऑर्डर देता है इस हिसाब से हम बनाते हैं.रसभरी जलेबियों के दीवाने हैं लोगजलेबी बनाने के लिए दुकानदार यहां पर शुद्धता का सबसे पहले ख्याल रखते हैं अच्छे तेल का प्रयोग करते हैं और 2 से 3 बार तेल का प्रयोग करने के बाद कड़ाई से उसे तेल को हटा देते हैं तो वहीं जलेबी बनाने में जो-जो चीज लगती हैं उनमें भी यह विशेष ध्यान रखते हैं. सबसे पहले मैदे का घोल तैयार कर लिया जाता है. मैदे के घोल में मैदा और मीठे सोडे का प्रयोग करके इसका घोल तैयार कर लिया जाता है. इसको लगभग 3 से 4 घंटे के लिए खमन उठाने के लिए रख दिया जाता है. जिसके बाद जलाव तैयार किया जाता है. जलाव में पानी और चीनी का प्रयोग किया जाता है..FIRST PUBLISHED : September 22, 2023, 15:56 IST
Source link