त्रेतायुग में माता शबरी ने प्रभु राम की लंबी प्रतीक्षा की थी. उन्हें विश्वास था कि एक दिन राम उनकी कुटिया में जरूर आएंगे और श्रीराम आए. कुछ ऐसा ही विश्वास धनबाद की सरस्वती देवी को भी था कि राम आएंगे. तब उनके शब्द भी लौटेंगे, जिन्हें उन्होंने 30 साल से मौन संकल्प धारण कर कंठ से बाहर निकलने से रोक दिया था. जानें आज की शबरी की अद्भुत कहानी… (रिपोर्ट: मो. इकराम/धनबाद)
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