Diabetes and Rice: धान यानी चावल की सर्वाधिक 90 प्रतिशत पैदावार और खपत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ही होती है. एशिया की अधिकांश आबादी जहां चावल खाने की शौकीन है वहीं दुनिया के 60 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज भी इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं. कई डॉक्टर भी डायबिटीज के मरीजों को चावल से परहेज करने की सलाह देते हैं. इस बीच फिलीपींस के एक प्रतिष्ठित रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दावा करते हुए कहा है कि उसने चावल की एक ऐसी नई किस्म विकसित की है जो डायबिटीज के खतरे को कम करती है.
फिलीपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ नेसे श्रीनिवासासुलु ने कहा कि इस नई किस्म का उत्पादन जल्दी ही भारत में भी किया जा सकेगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक 2025 तक एशिया और अफ्रीका के देशों में IRRI ने चावल की इस किस्म को पहुंचाने की योजना बनाई है.
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डायबिटीज के खतरे को कैसे करेगी कम?दुनिया में 53.7 करोड़ वयस्क लोग डायबिटीज के मरीज हैं. 2045 तक इसकी संख्या ये संख्या बढ़कर 78.3 करोड़ तक पहुंचाने का अनुमान है. गलत लाइफस्टाइल, मोटापा और जेनेटिक्स के कारण डायबिटीज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. टाइप 2 डायबिटीज तब उत्पन्न होती है जब पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता और कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेती हैं. इससे ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है.
ग्लाइसिमिक एसिड (Glycemic index or GI) ये मापने का एक तरीका है कि कोई फूड आइटम शरीर में कितनी तेजी से ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ाता है और जिसके कारण डायबिटीज होती है. यदि किसी फूड आइटम का GI, 45 से कम आता है तो इसका मतलब है कि उसके कारण ब्लड के लेवल में शुगर नहीं बढ़ रही है. (IRRI) ने ऐसी ही चावल की किस्म विकसित की है जिसका GI इसी तरह काफी कम है. यानी चावल की इस नई किस्म को भोजन में शामिल करने से ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ता. लिहाजा डायबिटीज के खतरे से बचाव होगा. IRRI के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस नई किस्म में प्रोटीन भी अधिक मात्रा में है.