इंटरव्‍यू: आज के दौर में पेरेंट्स अपने बच्चों को खुलकर नहीं जीने देते- प्रोफेसर एससी वर्मा

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इंटरव्‍यू: आज के दौर में पेरेंट्स अपने बच्चों को खुलकर नहीं जीने देते- प्रोफेसर एससी वर्मा



झांसी. भारत अपने गुरु शिष्य परंपरा के लिए युगों से जाना जाता है. अलग-अलग समय में कई ऐसे गुरु हुए जिनकी चर्चा आज तक की जाती है. आज के दौर में भी कई शिक्षक हैं जिन्हें पूरी दुनिया सम्मान देती है. 21वीं सदी के सबसे मशहूर शिक्षकों में पहला नाम प्रोफेसर एससी वर्मा का लिया जाता है. शिक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान को भारत सरकार ने भी पहचाना और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया.शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रोफेसर एससी वर्मा NEWS 18 LOCAL ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्‍होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे.
आपके जीवन में शिक्षक का क्या महत्व है?
शिक्षक का महत्व मेरे जीवन में सबसे अधिक रहा है. इसलिए मैंने भी शिक्षक बनने का निर्णय लिया. आज भी अगर कहीं फंसता हूं तो अपने शिक्षक की ही याद आते हैं.आपके सबसे पसंदीदा शिक्षक कौन थे?
मेरे जीवन में कई शिक्षकों का योगदान रहा है, किसी का एक नाम लेना सही नहीं होगा. अगर क्रोनोलॉजी के अनुसार बताऊं तो स्कूल के दिनों में रसायन शास्त्र के शिक्षक नीलांशु मलिक ने मुझे काफी प्रभावित किया. काम के प्रति समर्पण क्या होता है यह मैंने उनसे सीखा. पटना साइंस कॉलेज में फिजिक्स के शिक्षक शौकीन सिंह मेरे आदर्श रहे. आईआईटी कानपुर के दिनों में प्रो जीके मेहता और ज्ञानमोहन सिंह ने मुझे बहुत कुछ सिखाया. ऐसे ही कई शिक्षक रहे जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया.
एक शिक्षक के तौर पर आपका लंबा अनुभव रहा है, इतने सालों में स्टूडेंट्स में क्या बदलाव देखते हैं?
स्टूडेंट्स में बदलाव तो आया है लेकिन उससे भी ज्यादा बदलाव पेरेंट्स में आया है. पहले के समय में लोग हरफनमौला हुआ करते थे, स्वतंत्र रूप से जीवन जीते थे इस वजह से बच्चे भी तनावमुक्त रहते थे और अच्छा परफॉर्म कर पाते थे. आज के समय में भविष्य की चिंता और जॉब सिक्योरिटी के जाल में लोग इस कदर फंस चुके हैं कि अपने बच्चों को भी खुल कर नहीं जीने देते. यही कारण है कि आज के स्टूडेंट सीखने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए पढ़ता है.
क्या यही कारण है कि आज भारत में अच्छे इनोवेशन नहीं हो पा रहे हैं? भारत को दूसरा आर्यभट्ट या एचसी वर्मा नहीं मिल पा रहे हैं?
आर्यभट्ट का नाम तो आपने अच्छा लिया, लेकिन मैं इतनी तारीफ के काबिल नहीं हूं. भारत में मुझसे बेहतर भी कई शिक्षक हैं, लेकिन इनोवेशन की बात आपने सही कही. इनोवेशन के लिए स्वस्थ मस्तिष्क और तनाव मुक्त वातावरण चाहिए होता है. आज के समय में जिस तरीके से विद्यार्थियों पर अच्छे नंबर लाने और बड़े संस्थानों में एडमिशन लेने का दबाव बनाया जा रहा है वह उन्हें कुछ नया सोचने का समय ही नहीं दे रहा है. बैग के बढ़ते बोझ और प्रेशर में इनोवेशन कहीं दब कर रह गया है. विद्यार्थी पढ़ाई को इंजॉय ही नहीं कर पा रहे हैं. अगर इस बोझ को कम कर दिया जाए तो विद्यार्थी कमाल के इनोवेशन करके दिखा सकते हैं. हमें विद्यार्थियों को यह समझाना होगा कि सफलता अच्छे नंबरों से नहीं मिलती बल्कि आप अपने दिमाग से कितना सोच पाते हैं इससे मिलती है.
शिक्षक दिवस पर आप शिक्षकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
अगर शिक्षकों ने अपने स्कूली जीवन में और काम में अपने सब्जेक्ट को इंजॉय किया है तब तो वह ठीक काम कर रहे होंगे, लेकिन अगर उन्होंने भी सिर्फ अच्छे नंबर लाने के लिए पढ़ाई की है तो उन्हें एक बार फिर सब कुछ रिवाइज करने की जरूरत है. शिक्षकों को अपने सब्जेक्ट से प्यार करना होगा उसे इंजॉय करना होगा. अगर वैसा कर पाते हैं तभी अपने विद्यार्थियों को भी सब्जेक्ट से जोड़ पाएंगे और उन्हें भी सब्जेक्ट से कनेक्ट करना सिखा पाएंगे.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |FIRST PUBLISHED : September 05, 2022, 15:47 IST



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