Inspiring Story: जब मेहनत की जाए तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है. डॉ. सीएम सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में छोटे से गांव वनगांव में नवंबर 1972 में हुआ. एक सामान्य परिवार से आने वाले सीएम सिंह के पिता नर्मदेश्वर सिंह, पोस्ट मास्टर और माता जामवन्ता सिंह एक गृहणी थी. सीएम सिंह शुरुआत से ही पढ़ने में होशियार थे. वो बताते हैं कि उनकी माता का सपना था कि वो एक दिन डॉक्टर बने और समाज की सेवा करें. मां का यही सपना पूरा करने के लिए उन्होंने दिया जलाकर रात-दिन पढ़ाई की. सीएम सिंह की पढ़ाई का कारवां गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से शुरू होकर गणेश राय इंटर कॉलेज से होते हुए प्रयागराज में मेडिकल की तैयारी तक पहुंचा.
मेहनत कर हासिल की सफलता सन 1991 में सीएम सिंह का चयन कानपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हो गया. इसके बाद डॉक्टर सीएम सिंह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और दिन प्रतिदिन सफलता उनके कदम चूमती रही. सन 2012 में डॉ. सीएम सिंह का चयन पटना एम्स में एडिशनल प्रोफेसर के पद पर हो गया. इसी के पांच साल बाद 2017 में वो यहीं प्रोफेसर बन गए. 2018 में मेडिकल सुपरिटेंडेंट और 2023 में डॉ. सीएम सिंह को एक महीने के लिए अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर अधिष्ठाता बना दिया गया.
बुखार पर कर चुके हैं शोध डॉ. सीएम सिंह ने कोरोना काल के दौरान को वैक्सीन के मुख्य अन्वेषक थे. इस दौरान उन्होंने वैक्सीन का ट्रायल भी किया. इसके अलावा डॉ. सीएम सिंह ने इंसेफ्लाइटिस यानी कि मस्तिष्क ज्वर पर वृहद शोध किया. इस ज्वर पर शोध से बिहार में बच्चों की मृत्यु दर कम कर पाने में डॉ. सीएम सिंह को सफलता हासिल हुई.
हाल ही में एम्स, जोधपुर के 64वें दीक्षांत समारोह में डॉ. सीएम सिंह को भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव और नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. शिव कुमार सरीन द्वारा नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज की प्रतिष्ठित फेलोशिप प्रदान की गई. चिकित्सकीय तथा शोध के क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के लिये डॉ. सीएम सिंह को प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा पूर्व में फैलो ऑफ कॉमनवेल्थ मेडिकल एसोसिएशन (यूनाइटेड किंगडम), फेलोशिप ऑफ इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, फैलो ऑफ द रॉयल सोसायटी फॉर पब्लिक हेल्थ प्रदान किया जा चुका है.
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आपको बताते चलें कि यह फेलोशिप उन्हें कोरोना महामारी के दौरान उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें प्रदान की गयी. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ का निदेशक बनने के बाद इस संस्थान के प्रति लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए उन्होंने संस्थान में कई महत्त्वपूर्ण कदम भी उठाए. इसमें इमरजेंसी बेडों की संख्या बढ़ाने से लेकर, रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक सर्जरी तकनीक को लोहिया संस्थान में एक से दो महीने में लाने जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य शामिल हैं.
Tags: Local18, Lucknow newsFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 15:50 IST