कम और मध्यम आय वाले देशों में हर साल रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) से जान गंवाने वाले करीब 7.5 लाख लोगों को संक्रमण की रोकथाम के लिए बेहतर कदम उठाकर बचाया जा सकता है. ‘द लैंसेट जर्नल’ में प्रकाशित एक विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि इन उपायों में हाथों की सफाई, अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में नियमित रूप से सफाई और उपकरणों का रोगाणुनाशन, पीने के लिए स्वच्छ जल मुहैया कराना, सही तरीके से साफ-सफाई रखना और बच्चों को सही समय पर टीके लगवाना शामिल है.
हर आठ में से एक मौत इंफेक्शन से
अनुसंधानकर्ताओं के अंतरराष्ट्रीय दल ने अनुमान लगाया कि हर साल दुनियाभर में होने वाली हर आठ मौत में से एक का कारण जीवाणु संक्रमण होता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुल 77 लाख मौत के मामलों में से 50 लाख जीवाणु (बैक्टीरिया) से संबंधित होते हैं. ये जीवाणु एंटीबायोटिक के प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिस कारण व्यक्ति पर दवा का कोई असर नहीं होता.
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बचाव के लिए एंटीबायोटिक जरूरी
नाइजीरिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इबादान की प्रोफेसर और अध्ययन की सह लेखक इरुका ओकेके ने कहा, ‘दुनियाभर में मरीजों को प्रभावी एंटीबायोटिक मुहैया होना बहुत ही जरूरी है. लोगों को ये एंटीबायोटिक मुहैया नहीं करा पाना हमें बच्चों को बचाने और स्वास्थ्य को लंबे अरसे तक ठीक रखने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिहाज से हमें जोखिम में डाल देता है.’
एंटीबायोटिक के फायदे
ओकेके ने कहा कि प्रभावी एंटीबायोटिक लंबे अरसे तक आपको ठीक रखने, बीमारी के खतरे को कम करने, स्वास्थ्य देखभाल में होने वाले खर्चे को सीमित करने और सर्जरी को आसान बनाते हैं.
जीवन के लिए साफ-सफाई जरूरी
हाथों और उपकरणों की नियमित रूप से सफाई और रोगाणुनाशन सहित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में संक्रमण नियंत्रण और रोकथाम को बेहतर बनाकर हर साल 3.37 लाख जान बचाई जा सकती हैं. लोगों को पीने के लिए साफ पानी मुहैया कराने और शौचालय जैसी जनसुविधाओं में प्रभावी रूप से साफ-सफाई बनाए रखने से करीब ढाई लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है.
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