Diksha Dagar Accident : पेरिस ओलंपिक में भारत ने तीन मेडल नाम कर लिए हैं. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय गोल्फर दीक्षा डागर कार एक्सीडेंट का शिकार हुई हैं. जिस समय यह घटना हुई, दीक्षा के साथ उनकी मां भी कार में थीं. हालांकि, अच्छी बात यह है कि 23 साली की यह गोल्फर सुरक्षित है और पेरिस ओलंपिक में महिला इंडिविजुअल गोल्फ इवेंट के लिए भाग लेने की उम्मीद है. मंगलवार शाम को उनकी कार का एक्सीडेंट हुआ. इस दौरान दीक्षा, उसके माता-पिता और उसका भाई कार में थे. दीक्षा और उसके पिता को चोट नहीं आई, जबकि उसकी मां को पीठ में चोट के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया. दीक्षा के भाई को मामूली खरोंचें आईं. दीक्षा का पेरिस ओलंपिक में मैच 7 अगस्त को है.
टोक्यो ओलंपिक भी खेल चुकी हैं
युवा गोल्फर दीक्षा डागर 2020 में हुए टोक्यो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. दीक्षा को टोक्यो 2020 में अंतिम समय में एंट्री मिली थी, जब दक्षिण अफ्रीकी गोल्फर पाउला रेटो ने नाम वापस लेने का फैसला किया था. टोक्यो ओलंपिक में दीक्षा ने T-50 स्थान हासिल किया था. दीक्षा का ध्यान पेरिस में हो रहे ओलंपिक गेम्स में अच्छा प्रदर्शन करने पर होगा. दीक्षा एकमात्र ऐसी गोल्फर हैं, जो ओलंपिक और डेफलिम्पिक्स दोनों का हिस्सा रही हैं. उन्होंने 2017 में सिल्वर और 2022 में डेफलिम्पिक्स में गोल्ड मेडल जीता था.
दीक्षा के नाम ये उपलब्धियां
18 साल की उम्र में दीक्षा डागर ने चार बार की चैंपियन साउथ अफ्रीका की ली-ऐनी पेस को पछाड़कर 2019 साउथ अफ्रीकन ओपन जीता था. वह LET (लेडीज यूरोपियन टूर) जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला गोल्फर हैं और अदिति अशोक के बाद ऐसा करने वाली दूसरी खिलाड़ी बनीं. महिला यूरोपियन टूर पर डागर का दूसरा खिताब 2023 में चेक लेडीज ओपन में आया. इसी साल उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. पेरिस ओलंपिक में दीक्षा डागर चार सदस्यीय भारतीय गोल्फ दल का हिस्सा हैं. दीक्षा और अदिति अशोक दो महिला गोल्फर हैं. अन्य दो पुरुष गोल्फर शुभंकर शर्मा और गगनजीत भुल्लर हैं.
भारत के खाते में तीन मेडल
पेरिस ओलंपिक में भारत ने तीन मेडल नाम कर लिए हैं. मनु भाकर ने भारत को पहला मेडल दिलाते हुए शूटिंग में ब्रॉन्ज जीता. दूसरा मेडल भी भारत को शूटिंग में ही मिला, जब मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने मिक्स्ड टीम इवेंट में ब्रॉन्ज जीता. तीसरा मेडल भी शूटिंग से ही आया. स्वप्निल कुसाले ने यह मेडल भारत को दिलाया. उन्होंने भी ब्रॉन्ज जीता.