india vs bangladesh 1st test chennai pitch report match likely to play on red soil pitch | IND vs BAN : भारत-बांग्लादेश चेन्नई टेस्ट मैच की कैसी होगी पिच? बड़े राज पर से उठ गया पर्दा

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india vs bangladesh 1st test chennai pitch report match likely to play on red soil pitch | IND vs BAN : भारत-बांग्लादेश चेन्नई टेस्ट मैच की कैसी होगी पिच? बड़े राज पर से उठ गया पर्दा



Chennai Test Pitch Report : बांग्लादेश के खिलाफ 19 सितंबर से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज की तैयारी के लिए टीम इंडिया लगातार ट्रेनिंग कैंप में पसीना बहा रही है. चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में खेले जाने वाले पहले टेस्ट मैच को लेकर फैंस में भी उत्साह है. इस बीच पिच को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिससे गेंदबाजी लाइन-अप के कॉम्बिनेशन को लेकर टीमों की परेशानी बढ़ गई. इस मुकाबले को पिच को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है. आइए जानते लेते हैं, कैसी पिच पर मुकाबला खेला जाएगा.
कैसी रहेगी पिच?
अब तक सामने आई तस्वीरों और जानकारी के मुताबिक चेन्नई में होने वाला भारत-बांग्लादेश पहला टेस्ट मैच लाल मिट्टी की पिच पर खेला जाएगा. ऐसी पिच पर उछाल एक समान रहता है और शुरू में तेज गेंदबाजों को मदद मिल सकती है. हालांकि, धीरे-धीरे पिच का मिजाज स्पिन के अनुकूल भी होता जाता है. क्रिकेट में ज्यादातर लाल और काली मिट्टी की पिच तैयार की जाती है, लेकिन इन दोनों में आखिर अंतर क्या है? किसी भी मैच के परिणाम में पिच का खास रोल होता है. इसमें पिच की मिट्टी का क्या रोल होता है, उसको विस्तार से जानते हैं.
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लाल मिट्टी की पिच
आम तौर पर पिच मिट्टी, स्लिट और रेत के मिलावट से बनी होती है. इनको पिच क्यूरेटर द्वारा मैच की आवश्यकताओं और उसके फॉर्मेट के आधार पर एडजस्ट किया जा सकता है. लाल मिट्टी की पिच अन्य पिच की तुलना में कम पानी सोखती है और इसी कारण जल्दी सूखने भी लगती है. यही कारण है कि मैच के तीन से चार सेशन के बाद पिच में बड़ी-बड़ी दरार पैदा हो जाती हैं. इस पिच पर मैच की शुरुआत में तेज गेंदबाजों को काफी उछाल मिलता है. एक समान उछाल के कारण बल्लेबाजों को भी सेट होने के बाद खेलने में आसानी होती है. मगर जैसे-जैसे मिट्टी में दरार आने लगती है वैसे-वैसे स्पिन गेंदबाजों का पलड़ा भारी होता जाता है और खेल बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
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काली मिट्टी की पिच
हालांकि जिस काली मिट्टी की पिच में क्ले की मात्रा अधिक होती है, वह पानी को बेहतर तरीके से सोखती है. जिससे पिच अधिक समय तक बिना दरार के बनी रह सकती है. हालांकि, इससे असमान उछाल पैदा होता है और बल्लेबाजों को टिकने के लिए समय लेना पड़ता है. खासकर जब ऐसी पिचें टूट जाती हैं तब बल्लेबाजों को काफी दिक्कतें आती हैं.काली मिट्टी की पिच को तैयार करते हुए चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक इस्तेमाल होती है. लाल मिट्टी की तुलना में यह पिच अधिक पानी सोखती है. जिस कारण पिच में कम दरार पड़ती है और स्पिन गेंदबाजों को बढ़िया ग्रिप मिलती है. इस तरह की पिचें स्पिन गेंदबाजी के अनुकूल होती हैं और बल्लेबाजों के सामने फिरकी गेंदबाजी की चुनौती पेश कर सकती हैं.
पिच क्यूटरेटर ने दिया बयान 
चेन्नई टेस्ट मैच से पहले एक अनुभवी पिच क्यूरेटर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘पिछले कुछ सप्ताह से चेन्नई में बहुत गर्मी है. तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच रहा है. मुझे पता चला है कि पिच पर पर्याप्त पानी डाला जा रहा है, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ेगा अत्यधिक गर्मी के कारण पिच खुरदरी होती जाएगी.’ उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में मैच के आगे बढ़ने के साथ स्पिनरों का महत्व बढ़ जाएगा. यही कारण हो सकता है कि बल्लेबाज स्पिनरों की मददगार पिचों पर अभ्यास कर रहे हैं.’



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