Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे क्रिकेटर रहे हैं जो बेहतरीन होने के बावजूद लंबे समय तक नहीं खेल पाए. इनमें कुछ बल्लेबाज शामिल हैं तो कुछ गेंदबाज. कर्नाटक के बल्लेबाज करुण नायर का नाम कौन भूल सकता है. तिहरा शतक लगाने के बाद उन्हें सिर्फ कुछ ही मुकाबलों में खेलने का मौका मिला. वह टीम से बाहर हुए और अब तक वापसी की राह देख रहे हैं. कुछ ऐसा ही एक स्टार स्पिनर के साथ हुआ. उसे जबरदस्त गेंदबाजी के बावजूद टीम से बाहर कर दिया गया.
आखिरी मैच में 10 विकेट, फिर भी आउट
हम यहां बात कर रहे हैं भारत के पूर्व स्पिनर प्रज्ञान ओझा की. प्रज्ञान भारत के लिए 5 साल तक ही खेल पाए. उन्होंने 2008 में पहला इंटरनेशनल मैच खेला था. 2013 में सचिन तेंदुलकर का आखिरी मुकाबला उनके भी करियर का अंतिम मैच साबित हुआ. प्रज्ञान उस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच बने थे, लेकिन दुर्भाग्य से उसके बाद वह एक भी मैच नहीं खेले थे. प्रज्ञान ने मैच की दोनों पारियों को मिलाकर 10 विकेट लिए थे. उन्होंने पहली पारी में 40 रन देकर 5 और दूसरी पारी में 49 रन देकर 5 विकेट लिए थे. इसके बाद उन्हें खेलने का मौका मिला.
धोनी की कप्तानी में आखिरी मैच
2013 में उस मैच में महेंद्र सिंह धोनी भारत के कप्तान थे. वह उसके बाद भी करीब 14 महीने तक टेस्ट के कप्तान रहे थे. ओझा ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच भले ही 2013 में खेला था, लेकिन उन्होंने संन्यास 2020 में लिया था. प्रज्ञान ने हाल ही में एक यूट्यूब चैनल को इंटरव्य दिया. इसमें उनसे शुभांकर मिश्रा ने पूछा, ”27 साल की उम्र में प्रज्ञान ओझा का लास्ट मैच क्यों हुआ? लास्ट मैच वो क्यों हुआ जिसमें उन्होंने 10 विकेट लिए थे? टेस्ट क्रिकेट में जो गेंदबाज 10 विकेट लेता है उसके बाद उसे कैसे मौका नहीं मिलता है?”
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प्रज्ञान ओझा का जवाब
प्रज्ञान ने जवाब में कहा, ”मैं सेलेक्टर, कोच या किसी को इस बारे में कुछ नहीं कहता है. मैंने ये अपने सीनियर्स में इस तरह का कड़वाहट देखा है. मैं कड़वाहट नहीं रखना चाहता. मैं जब 27 साल में लास्ट इंटरनेशनल मैच खेला और फिर 5 साल तक आगे रणजी ट्रॉफी खेला तब तक मुझे लगा कि क्रिकेट आगे बढ़ चुका है. कुछ अलग करने के लिए आपको मोटिवेशन चाहिए होता है. मजा आना बहुत जरूरी है. शायद मैं डोमेस्टिक क्रिकेट में मजा नहीं कर पाता था. इस कारण मैंने खुद को इससे अलग कर लिया.”
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क्या धोनी से इस बारे में पूछा?
उनसे अगला सवाल पूछा गया, ”आप धोनी के अच्छे दोस्त हैं. क्या आपने उनसे पूछा नहीं कि मैं 10 विकेट लेकर कैसे बाहर हो सकता हूं?” इस पर प्रज्ञान ने कहा, ”मैंने इस बारे में कभी सोचा नहीं. अगर मैं इन चीजों के पीछे जाऊंगा तो मेरे दूसरे काम खराब हो जाएंगे. इससे अच्छा है कि मैंने 100 से ज्यादा विकेट लिए हैं और दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने का मौका मिला. मैं अच्छी यादों के साथ हूं.”
प्रज्ञान ओझा का करियर
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ने भारत के लिए 24 टेस्ट मैचों में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने भारत के लिए 113 विकेट लिए हैं. उन्होंने 7 बार पारी में 5 या उससे अधिक विकेट लिए. उनका बेस्ट प्रदर्शन 47 रन पर 6 विकेट है. टेस्ट के अलावा प्रज्ञान को 18 वनडे मैचों में भी खेलने का मौका मिला. इस दौरान 21 विकेट झटके. वहीं, 6 मैचों में इस स्पिनर ने 10 विकेट अपने नाम किए.