In Uttar Pradesh only four times political parties crosses 300 assembly seats SP and BSP not even near

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In Uttar Pradesh only four times political parties crosses 300 assembly seats SP and BSP not even near



लखनऊ/ममता त्रिपाठी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भाजपा और सपा के बीच ही होता दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस और बसपा लड़ाई में नजर नहीं आ रही हैं. भाजपा के साथ ही सपा ने भी यूपी चुनाव में “अबकी बार 300 पार” का नारा दिया है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में आज तक सिर्फ 4 बार ऐसा हुआ है, जब कोई दल 300 या उससे अधिक सीटें जीतने में कामयाब रहा हो.
कांग्रेस ने यह कारनामा 2 बार कर दिखाया है. जनता पार्टी ने 1 बार और भारतीय जनता पार्टी ने 1 बार 300 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाबी पाई है. यूपी के दो सबसे बड़े दल सपा और बसपा इस आंकड़े के आस-पास भी नहीं पहुंच सके हैं. भाजपा 1991 के राम मंदिर आंदोलन की लहर में भी 221 सीटें ही जीत पाई थी. हालांकि, उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 202 ही है. यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं, जो उत्तराखंड के अलग होने से पहले 426 हुआ करती थीं.
भारतीय कांग्रेस पार्टी ने 1952 के यूपी चुनाव में 388 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी और गोविंद वल्लभ पंत देश के सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. कोई भी पार्टी इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाई है. यह करिश्मा दूसरी बार आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में दोहराया गया. ​उस वक्त जनता पार्टी को यूपी में 352 सीटें मिली थीं. कांग्रेस महज 47 सीटों पर सिमट गई थी. हालां​कि, 1980 में कांग्रेस ने 308 सीटें जीतकर जनता पार्टी को यूपी की सत्ता से बेदखल कर दिया था.
चौथी बार भाजपा ने 2017 में 312 विधानसभा सीटें जीतकर उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. भाजपा को इस चुनाव में 39.67 प्रतिशत मत मिले. मंडल कमीशन की रिपोर्ट के बाद से ही राज्यों में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व देखने को मिला. हालांकि, यूपी के दो सबसे बड़े राजनीति दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी राज्य की सत्ता में कई बार काबिज हुए, लेकिन 300 सीटों के आंकड़े के आस-पास भी नहीं पहुंच सके.
सपा का यूपी में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2012 के विधानसभा चुनाव में रहा. तब समाजवादी पार्टी ने 403 में से 224 सीटों पर जीत हासिल की थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. सपा को तब 29 प्रतिशत से कुछ ज्यादा मत मिले थे. इसी तरह मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी 2007 में 206 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी. इन दोनों दलों का यूपी में यही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यही हाल मत प्रतिशत को लेकर भी रहा है.
बीते कुछ दशकों की बात करें तो राजनीतिक पंडित यह मानते थे कि उत्तर प्रदेश में जिस राजनीतिक दल ने 30 प्रतिशत वोट हासिल कर लिया, उसकी सरकार बननी तय है. यूपी के राजनीति इतिहास में सिर्फ तीन बार ऐसा हुआ है जब किसी पार्टी को 40 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोट मिले हों. इमरजेंसी के वक्त जनता पार्टी को 48.04 प्रतिशत मत मिले थे. बाकी दो बार कांग्रेस को 1951 में 48 प्रतिशत और 1957 में 42 प्रतिशत वोट मिल थे.

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Uttar Pradesh में आज तक सिर्फ चार बार ‘300 पार’, आस-पास भी नहीं पहुंची हैं SP और BSP

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