शाहजहांपुर : उर्वरक, कृषि में फ़सलों की पैदावार बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रासायनिक या प्राकृतिक पदार्थ होते हैं. उर्वरकों में पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि नाइट्रोजन, पोटैशियम, और फ़ॉस्फ़ोरस. उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की जल धारण क्षमता और उर्वरता बढ़ती है. ऐसा ही एक उर्वरक है डीएपी, जिसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों होते हैं . नाइट्रोजन पत्तियों और तनों की वृद्धि के लिए जरूरी है, जबकि फॉस्फोरस जड़ों के विकास, फूल आने और फल लगने के लिए आवश्यक है. डीएपी के प्रयोग से फसलों की उपज में काफी वृद्धि हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान और डीएपी खरीदते समय कुछ सावधानियां बरतें, ताकि उन्हें नकली सामान के कारण घाटे का सामना न करना पड़े.
जिला कृषि अधिकारी विकास किशोर ने लोकल 18 को बताया कि डीएपी मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करता है. यह मिट्टी में फॉस्फोरस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है. डीएपी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का अनुपात दलहनी और तिलहनी फसलों के लिए सबसे उपयुक्त होता है. यह पौधों को स्वस्थ रखता है और उन्हें रोगों से लड़ने में मदद करता है. डीएपी मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करता है. यह मिट्टी में फॉस्फोरस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है. लेकिन जरूरी है कि किसान डीएपी खरीदते समय कुछ जरूरी चीजों का ध्यान रखें ताकि वह नकली उर्वरक से बच सके.
उर्वरक खरीदते समय जरूर करें ये काम⦁ डीएपी ही नहीं बल्कि कोई भी उर्वरक खरीदते समय किसान रसीद अवश्य लें.⦁ ध्यान रखें कि कोई भी उर्वरक या कीटनाशक पंजीकृत दुकान से ही खरीदें.⦁ उर्वरक खरीदते समय पीओएस मशीन से अंगूठा लगाकर रसीद प्राप्त कर लें.⦁ विभाग के पास भी पीओएस मशीन से बेचे गए उर्वरक की पूरी डिटेल रहती है. उससे पता चलता है कि किस किसान ने किस दुकान से कितनी मात्रा में उर्वरक की खरीद की है और किस बैच नंबर का उर्वरक किस किसान ने अपने खेत में इस्तेमाल किया है.⦁ अगर ऐसे में किसी किसान को नकली उर्वरक बेचा जाता है तो विभाग के पास शिकायत करने पर नकली उर्वरक बेचने वाले लोगों के खिलाफ आसानी से कार्रवाई की जा सकती है.
असली डीएपी की कैसे करें पहचान?विकास किशोर ने लोकल 18 को बताया कि किसानों को भी खेती करते हुए अनुभव हो जाता है कि उनको दिया जाने वाला उर्वरक की क्वालिटी क्या है. लेकिन फिर भी अगर किसान उर्वरक की पहचान नहीं कर पा रहे हैं तो ध्यान रखें कि⦁ डीएपी सख्त दानेदार होता है⦁ इसका रंग भूरा, काला और बदामी हो सकता है.⦁ डीएपी को नाखूनों से आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता.⦁ डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें थोड़ा सा चूना मिलाकर अच्छे से मसल दें, जिससे तीक्ष्ण गंध निकलेगी, जिसे सूंघना आसान नहीं होता.⦁ डीएपी के दानों को तवे की धीमी आंच पर गर्म करने पर दाने फूल जाते हैं. अगर यह सभी लक्षण पाए जाते हैं तो डीएपी में किसी तरह की मिलावट नहीं है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 18:15 IST