शाहजहांपुर: किसानों के लिए फसलों को कीटों से बचाना हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रही है. कीटनाशकों का उपयोग करने के बजाय, कई किसान अब पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों की ओर रुख कर रहे हैं. ये देशी उपचार न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता को भी बनाए रखते हैं. इतना ही नहीं यह देसी उपाय करना किसानों के लिए बेहद सस्ता साबित हुआ है जबकि रासायनिक तरीके से कीटों का उपचार करना किसानों की जेब पर भारी पड़ता है.
कृषि विज्ञान केंद्र शाहजहांपुर के वैज्ञानिक डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि किसानों के घर में बहुत सी ऐसी चीजें मौजूद रहती है, जिनसे देसी कीटनाशक तैयार किए जा सकते हैं. इन देसी कीटनाशक से रस चूसक, तने को कुतरने वाले, काटने वाले और तना भेदक कीटों के खात्में लिए बेहद ही कारगर होते हैं. देसी उत्पाद का छिड़काव करने से फसल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता. ये देसी उत्पाद तैयार करना भी बेहद आसान है.
नीम है प्राकृतिक कीटनाशकडॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है. इसमें अज़ादिराच्टिन नामक यौगिक होता है, जो कीड़ों को दूर रखने में सहायक होता है. नीम के तेल और पानी को मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें. यह कीटों के प्रजनन को रोकने के साथ साथ फसल से भी दूर रखता है. यह देसी उपचार फसल को कीटनाशकों से बचाने के साथ-साथ पौधों की वृद्धि को भी प्रोत्साहित करता है.
लहसुन और मिर्च का ऐसे करें प्रयोगडॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि लहसुन और मिर्च का आमतौर पर रसोई में मसालों के तौर पर किया जाता है. लेकिन लहसुन और मिर्च का मिश्रण कीटों के लिए असहनीय होता है. यह मिश्रण कीटों को भगाने में प्रभावी होता है. लहसुन और मिर्च को पानी में मिलाकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें. इसके बाद इस मिश्रण को छानकर फसलों पर स्प्रे करें. यह उपचार कीटों को फसलों से दूर रखने में मदद करता है और फसल की गुणवत्ता को बनाए रखता है.
गौमूत्र से करें कीटों का नाशडॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि गोमूत्र का उपयोग भारतीय खेती में प्राचीन समय से कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं. गोमूत्र को पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें. यह कीटों को दूर रखने और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है. गोमूत्र का उपयोग फसल को कीटों से बचाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है.
तंबाकू का नशा है कीटों के लिए भारीडॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि तंबाकू एक नशीला पदार्थ होता है. तंबाकू में निकोटिन होता है, जो कीटों के लिए विषाक्त होता है. यह फसलों को कीटों से बचाने में कारगर होता है. तंबाकू के पत्तों को पानी में उबालकर इसका रस निकालें. इस रस को पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें. तंबाकू का रस कीटों को फसलों से दूर रखता है और फसल की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.
दूध उत्पाद भी है कीटों का कालडॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि दूध उत्पाद मट्ठा जिसको आम तौर पर खाने के लिए पसंद किया जाता है. मट्ठा एक जैविक उपचार है, जो कीटों को फसलों से दूर रखने में मदद करता है. इसमें लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं, जो कीटों के विकास को रोकते हैं. मट्ठा को पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें. यह उपचार कीटों को भगाने और पौधों की वृद्धि को बढ़ाने में सहायक होता है. मट्ठा का उपयोग फसल को कीटों से बचाने के साथ-साथ पौधों की स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 19:47 IST