प्रयागराज. दुष्कर्म के एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि रेप पीड़िता का बयान अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार है. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान को अन्य साक्ष्यों से सुसंगत साबित करना अनिवार्य नहीं. कोर्ट ने रेप के अभियुक्त की अधिक आयु को सजा माफ करने का आधार मानने से भी इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने 43 साल पुराने रेप के मामले में 68 वर्षीय अभियुक्त की ट्रायल कोर्ट की सजा बरकरार रखी औरट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने का निर्देश दिया.जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने मेरठ के ओमप्रकाश की अपील खारिज करते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा. ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त ओमप्रकाश को 6 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. दरअसल, मेरठ के बिनौली थाना क्षेत्र निवासी ओमप्रकाश के खिलाफ पीड़िता के पिता ने 4 अक्टूबर 1979 को एफआईआर दर्ज कराई थी. ओमप्रकाश पर आरोप था कि उसने जंगल में घास काटने गई 10 वर्षीया किशोरी के साथ खेत में रेप किया. मेडिकल रिपोर्ट में भी पीड़िता की आयु 10 वर्ष होने के साथ ही रेप किए जाने की पुष्टि हुई.बचाव पक्ष की ये थी दलीलइस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई और अभियुक्त ओमप्रकाश को दोषी करार दिया गया. कोर्ट ने उसे 6 साल की सजा सुनाई. इसी सजा के खिलाफ ओमप्रकाश ने हाईकोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी. कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मेडिकल जांच करने वाली डॉक्टर का ट्रायल कोर्ट में परीक्षण नहीं किया गया. इतना ही नहीं विवेचना अधिकारी का भी परीक्षण नहीं किया गया. साथ ही साथ दो गवाहों की भी पेशी नहीं की गई. इसलिए इस घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है. जिसके बाद जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने बचाव पक्ष की दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि रेप पीड़िता का बयान अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : November 16, 2022, 09:04 IST
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