अखंड प्रताप सिंह/कानपुर: देश भर में बड़ी संख्या में लोग पेट की बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. आंकड़ों के हिसाब से 50 वर्ष की उम्र के बाद कम से कम 50 प्रतिशत लोग पेट की गड़बड़ी से जुड़ी किसी ना किसी समस्या से पीड़ित रहते हैं. इनमें सबसे प्रमुख पाइल्स और अन्य बीमारियां हैं. इनके इलाज के लिए ऑपरेशन का सहारा लिया जाता है. ऑपरेशन करने के लिए प्रॉक्टोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसके इस्तेमाल में मरीज को काफी अधिक दर्द सहना पड़ता है. डॉक्टरों को भी इसके इस्तेमाल में काफी सावधानी रखनी पड़ती है. अब आईआईटी कानपुर द्वारा एक ऐसी प्रैक्टोस्कोप डिवाइस तैयार कर दी गई है जिससे मरीज को भी दर्द भी नहीं सहना पड़ेगा और डॉक्टर को भी इलाज में मदद मिलेगी.ऐसे तैयार हुई डिवाइसयह डिवाइस आईआईटी कानपुर द्वारा बनाई गई है. इसे बनाने में केजीएमसी के डॉक्टर अशरद और उनकी टीम ने भी सहयोग किया है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जे राजकुमार के मार्गदर्शन में यह डिवाइस तैयार की गई है. आईआईटी कानपुर के पीएचडी छात्र सिद्धांत श्रीवास्तव ने इस डिवाइस को तैयार किया है. यह डिवाइस पेट के मरीज के इलाज में वरदान साबित होगी.बाजार में मौजूद अन्य डिवाइस से ऐसे है अलगअभी बाजार में कई प्रॉक्टोस्कोप मौजूद हैं लेकिन, उनको इस्तेमाल करना भी कठिन है और उनके इस्तेमाल के दौरान मरीज को पीड़ा भी होती है. आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किया गया यह प्रॉक्टोस्कोप बेहद एडवांस है. इसमें लाइट लगाने का भी इंतजाम किया गया है ताकि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर को रोशनी की कमी भी ना हो और वह आसानी से इलाज कर सकें.साल के अंत तक बाजार होगा उपलब्धडिवाइस बनकर तैयार हो गई है और साल के अंत तक यह बाजार में आ जाएगी. इसके कीमत की बात की जाए तो यह बाजार में लगभग ₹2000 बाजार में उपलब्ध होगी. कई अस्पतालों में इसका ट्रायल चल रहा है और ट्रायल सफल भी रहा है. इस डिवाइस को बनाने के लिए केंद्र सरकार से 50 लाख रुपए का ग्रांट भी मिला था जिसके तहत इस डिवाइस को तैयार किया गया है.क्या है प्रॉक्टोस्कोपप्रॉक्टोस्कोप एक ऐसा मेडिकल उपकरण या डिवाइस होता है जिसके जरिए मलद्वार और उसके अन्य हिस्सों की जांच की जाती है. पाइल्स और अन्य बीमारियों के ऑपरेशन से पहले टिश्यू आदि का सैंपल लेने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. अभी तक उपलब्ध प्रॉक्टोस्कोप से मरीजों को भी दिक्कत होती है और डॉक्टरों को भी उसे इस्तेमाल करने में मुश्किल होती है.FIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 10:45 IST