Hyperhidrosis: excessive sweating without any reason is not normal ignoring it can be life threatening | Excessive Sweating: बिना वजह पसीना आना नहीं है नॉर्मल, अनदेखी करना जीवन को खतरे में डालने के बराबर

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Cause of excessive sweating: गर्मी और उमस हो तो थोड़े से शारीरिक श्रम में ही पसीना आने लगता है. पर, कुछ लोगों को बहुत ज्यादा पसीना आता है. अचानक से ज्यादा पसीना आने लगना या फिर पसीने की गंध बदलना किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है. यों ज्यादा पसीना आमतौर पर बड़ी परेशानी नहीं होता. खानपान व दिनचर्या में सुधार से इसे कम कर सकते हैं. पर, कई बार डॉक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है.
क्यों आता है पसीना? हमारे शरीर की कई ग्रंथियां पसीने का निर्माण करती है, जो त्वचा के रोमछिद्रों से बाहर आता है. इनमें से दो ग्रंथियां प्रमुख हैं- एक्राइन ग्लैंड और एपोक्राइन ग्लैंड. एक्राइन ग्लैंड से निकलने वाला पसीना पानी जैसा होता है, इसमें बहुत थोड़ी मात्रा में नमक, प्रोटीन, यूरिया और अमोनिया भी होते हैं. ये ग्रंथियां पूरे शरीर में होती हैं, पर हथेलियों, पेशानी, बगलों और तलवों में अधिक होती हैं. एपोक्राइन ग्रंथि बगलों, पेट व जांघ के बीच का भाग और स्तनों के आसपास अधिक संख्या में होती हैं. हमारे पसीने में पानी के अलावा सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम, कैल्शियम व मैग्नेशियम जैसे मिनरल्स भी होते हैं. पसीना शरीर के आकार, उम्र, मसल्स मास और सेहत पर भी निर्भर करता है. किशोर अवस्था में हार्मोनल बदलावों के समय शरीर की करीब 30 लाख स्वेट ग्लैंड्स क्रियाशील हो जाती हैं. जब पसीना बैक्टीरिया के संपर्क में आता है तो दुर्गंध आती है, जो कई लोगों में काफी तेज होती है.
हाइपरहाइड्रोसिसअधिक पसीने की समस्या को चिकित्सकीय भाषा में हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं. एक अनुमान के अनुसार देश में करीब 7-8 प्रतिशत लोग हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित हैं. किसी को पूरे शरीर में बहुत पसीना आता है तो किसी को विशेष स्थानों जैसे हथेलियों, तलवों, बगलों या चेहरे पर. अगर ज्यादा पसीना किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण नहीं आ रहा हो तो इसे प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं. यह तापमान में बढ़ोतरी या अधिक शारीरिक श्रम करने से ट्रिगर हो सकता है. अगर पसीना अधिक निकलने का कारण स्वास्थ्य समस्या है तो इसे सेकंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहेंगे. हाइपरहाइड्रोसिस में बॉडी का कूलिंग मेकेनिज्म इतना अधिक सक्रिय हो जाता है कि सामान्य से चार या पांच गुना अधिक पसीना उत्पन्न करता है.
हाइपरहाइड्रोसिस के कारण
आनुवंशिक कारण: कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इससे पीड़ितों में 50 प्रतिशत में यह आनुवंशिक कारणों से होता है. मोटे और बेडौल लोगों में ऐसा अधिक होता है.
दवाओं के साइड इफेक्ट्स: हार्मोन संबंधी गड़बड़ियों, हाई ब्लड प्रेशर, अवसाद, डायबिटीज और थायरॉइड में ली जाने वाली दवाओं से भी पसीना अधिक आता है.
स्वास्थ्य समस्याएं: कई तरह के कैंसर, दिल और फेफड़ों के रोग, थायरॉइड, डायबिटीज या आंतरिक संक्रमण, मीनोपॉज व स्ट्रोक के लक्षणों के तौर पर भी पसीना ज्यादा आता है.
भावनात्मक समस्याएं: घबराहट, उत्तेजना और तनाव में स्ट्रेस हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं. इससे शरीर का ताप और धड़कनें बढ़ जाती हैं. हमारे मस्तिष्क में हाइपोथेलेमस हिस्सा पसीने को काबू करता है, यह स्वेट ग्लैंड्स को शरीर ठंडा करने के लिए पसीना निकालने का संदेश देता है. ऐसे में सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम भावनात्मक सिग्नल्स को पसीने में बदलता है.
अन्य कारण: निकोटीन, कैफीन, बहुत गर्म व मसालेदार भोजन खाना हाइपरहाइड्रोसिस को ट्रिगर कर सकता है. जो पहले से इससे जूझ रहे हैं, उनकी समस्या बढ़ जाती है.



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